रंगीन फलों और सब्जियों से भरपूर आहार मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) से बचा सकता है।
यह कहना है 6,000 से अधिक ब्राज़ीलियाई लोगों पर हुई एक नई स्टडी का।
स्टडी में अंगूर, स्ट्रॉबेरी, आकाई, संतरे, चॉकलेट, वाइन और कॉफी से भरपूर आहार मेटाबॉलिक सिंड्रोम के खतरे को 23% तक कम करता मिला।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम ऐसी समस्याओं का समूह है, जो साथ मिलकर स्ट्रोक, मोटापा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज और अन्य रोगों का खतरा बढ़ाती हैं।
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नतीजों में फलों और सब्जियों के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ उनमें मौजूद कई पॉलीफेनॉल (Polyphenols) से संभव माने गए।
बता दें कि पॉलीफेनॉल एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाले प्राकृतिक केमिकल है।
स्टडी रिसर्चर्स ने मेटाबॉलिक सिंड्रोम रोकने के लिए पॉलीफेनॉल भरपूर आहार को बढ़ावा देना अत्यंत लाभकारी माना।
आठ साल चली स्टडी में, 6,378 पुरुषों और महिलाओं में से 2,031 को मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्त पाया गया।
उन्हें मुख्यत: मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा दिक्क्त थी।
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खान-पान संबंधी उनकी आदतों द्वारा पॉलीफेनोल युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन का पता लगाया गया।
रोजाना 177 मिलीग्राम की अपेक्षा विभिन्न खाद्य पदार्थों के 469 मिलीग्राम पॉलीफेनोल सेवन से मेटाबोलिक सिंड्रोम विकसित होने का खतरा 23% कम था।
कॉफी, रेड वाइन व चाय में अत्यधिक पाए जाने वाले विशिष्ट पॉलीफेनोल, फेनोलिक एसिड के सेवन से उपरोक्त खतरा समान मात्रा में कम मिला।
नतीजों की मानें तो विभिन्न खाद्य पदार्थों के पॉलीफेनोल पेट में लाभकारी आंत माइक्रोबायोटा को पनपने में सहायता देते है।
किसी व्यक्ति के आहार में जितने विभिन्न पॉलीफेनॉल होंगे, आंत माइक्रोबायोटा पर उतना ही बेहतर प्रभाव पड़ेगा।
विश्लेषण से यह भी पता चला कि रेड वाइन के फ्लेवन-3-ओल्स से मेटाबॉलिक सिंड्रोम विकास में 20%, जबकि चॉकलेट से 10% कमी थी।
अधिक पॉलीफेनॉल खाने वालों में हाई बीपी या इंसुलिन प्रतिरोध होने की संभावना 30 गुना तथा उच्च ट्राइग्लिसराइड्स की 17 गुना कम थी।
साओ पाउलो यूनिवर्सिटी की यह स्टडी जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुई थी।
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