बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को सुरक्षित रखना है तो उनका स्क्रीन टाइम (Screen Time) सीमित कीजिए।
ये सलाह दी है हेल्थ साइंस से जुड़े फ़िनलैंड और ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों की नई स्टडी ने।
स्टडी में, बचपन से ही मोबाइल फोन स्क्रीन टाइम सीमित करने और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना से किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहने की संभावना मिली है।
नतीजे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं एक बढ़ती हुई चुनौती है, जिससे विश्व के 30% युवा प्रभावित हैं।
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उपरोक्त जानकारी जुटाने के लिए विशेषज्ञों की टीम ने आठ साल की अवधि में 187 किशोरों का अनुसरण किया था।
उन्हें मोबाइल फोन ज्यादा इस्तेमाल करने वाले बच्चों को किशोरावस्था में तनाव एवं डिप्रेशन अधिक होने की संभावना मिली।
इसके विपरीत, ज्यादा शारीरिक गतिविधि और खेलों में भागीदारी से उनके तनाव तथा डिप्रेशन के लक्षण कम थे।
हालांकि, शारीरिक गतिविधि और डिप्रेशन के बीच का संबंध स्क्रीन टाइम और डिप्रेशन लक्षणों की तुलना में कमज़ोर था।
अधिक स्क्रीन टाइम तथा कम शारीरिक गतिविधि वाले किशोरों में तनाव व डिप्रेशन लक्षण सबसे अधिक थे।
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टीम के अनुसार, कई स्टडीज ने बच्चों और किशोरों का स्क्रीन टाइम प्रतिदिन दो घंटे तक सीमित करना कहा है।
लेकिन किशोरों और युवाओं में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट को देखते हुए यह समय सीमा बहुत ज़्यादा है।
नतीजों को देखते हुए बच्चों में छुटपन से ही स्वस्थ लाइफस्टाइल आदतों को बढ़ावा देना अति आवश्यक है।
उनकी शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने और स्क्रीन समय घटाने से बाद के जीवन की मानसिक स्वास्थ्य परेशानियां कम हो सकती है।
इसके लिए परिवार से लेकर सरकार तक को बच्चों और किशोरों में संतुलित स्क्रीन समय, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि, अच्छी नींद और पौष्टिक आहार सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
यह स्टडी विस्तार से जामा नेटवर्क ओपन में पढ़ सकते है।
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