दुनिया भर के 3 में से 1 व्यक्ति को उसके जीवनकाल में दिल की अनियमित धड़कन (Heart rhythm disorder) का जानलेवा खतरा हो सकता है।
यह संभावना यूरोपियन हार्ट रिदम एसोसिएशन (EHRA) के कार्डियोलॉजिस्ट ने मामलों में तेज वृद्धि देखने के बाद जताई है।
उन्होंने सभी इंसानों से दिल की अनियमित धड़कन की अनदेखी न करने का आग्रह किया है।
हार्ट रिदम डिसऑर्डर (Heart rhythm disorders) को कार्डियक एरिदमिया (Cardiac arrhythmias) भी कहते है।
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आम भाषा में इसे दिल की धड़कन या तरंगें बहुत तेज, धीरे-धीरे या अनियमित होना कहा गया है।
यह स्थिति कई बार हानिरहित होती हैं, लेकिन अनदेखी से स्ट्रोक, हार्ट फेलियर या कार्डियक अरेस्ट हो सकता हैं।
एट्रियल फ़िब्रिलेशन (AFib) ऐसी ही एक स्थिति है, जिसके मामले 2010 के 33.5 मिलियन से बढ़कर 2019 में 59 मिलियन थे।
अनुमान बताते हैं कि वर्ष 2050 में मामलों की संख्या 60% से अधिक बढ़ सकती है।
कार्डियोलॉजिस्ट ने दिल की अनियमित धड़कन को एक ‘मूक महामारी’ कहा है।
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इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन बहुत से लोग जोखिमों और लक्षणों से अनजान हैं।
माना जाता है कि अनियमित धड़कन केवल बुजुर्गों को ही प्रभावित करती हैं, लेकिन यह सच नहीं है।
यह समस्या सभी उम्र और फिट इंसानों में भी बिना किसी चेतावनी के विकसित हो सकती हैं।
एसोसिएशन ने नाड़ी (Pulse) जाँच को सबसे सरल और सबसे प्रभावी उपायों में से एक बताया है।
बता दें कि एक सामान्य हृदय गति (Heart rate) 60 से 100 बीट प्रति मिनट के बीच होती है।
यदि आप लगातार इसे अधिक, कम या अनियमित लय में पाते हैं तो डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।
प्रारंभिक पहचान और इलाज से बाद के जीवन में संभावित गंभीर दिक्कतों को कम किया जा सकता है।
इस बारे में और जानकारी यूरोपीय हार्ट रिदम एसोसिएशन (EHRA) की वार्षिक बैठक से मिल सकती है।
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