किसी व्यक्ति के ख़ून की जांच (Blood test) से ही उसके जल्द स्ट्रोक (Stroke) पड़ने का ख़तरा मापा जा सकता है, ऐसा वैज्ञानिकों की एक इंटरनेशनल टीम का कहना है।
न्यूरोलॉजी जर्नल में छपी उनकी रिपोर्ट में, 18 से 60 वर्षीय पुरुषों और महिलाओं की आनुवंशिक प्रोफाइल (Genetic profile) के आधार पर जांचे गए ख़ून के प्रकार (Blood type) से शुरुआती इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke) के ख़तरे का संबंध पाया गया है।
बता दें कि इस्केमिक स्ट्रोक मस्तिष्क के हिस्से में ख़ून की आपूर्ति बाधित या कम होने से पड़ता है। इससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन और ज़रूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक़, टीम को अधिक जानकारी आनुवंशिकी और इस्केमिक स्ट्रोक पर आधारित 48 अध्ययनों के एक मेटा-एनालिसिस (Meta-analysis) से मिली।
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इसमें 17,000 स्ट्रोक रोगी और बिना स्ट्रोक वाले लगभग 600,000 स्वस्थ मनुष्य शामिल थे।
नतीजों में पाया गया कि A ब्लड ग्रुप वालों को अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में जल्दी स्ट्रोक पड़ने का खतरा 16 प्रतिशत अधिक था।
उनके विपरीत, जिन लोगों का ब्लड ग्रुप O था, उन्हें अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में स्ट्रोक का खतरा 12 प्रतिशत कम था।
हालांकि, वैज्ञानिक A ब्लड ग्रुप वालों को अधिक ख़तरा होने का कारण जान नहीं पाए।
उन्होंने ऐसा ख़ून के थक्के (blood-clotting) बनाने वाले कारणों जैसे प्लेटलेट्स, ब्लड वेसेल्स से जुड़ी कोशिकाओं और अन्य प्रोटीनों से पैदा होने का कयास लगाया।
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पिछले अध्ययनों ने भी A ब्लड ग्रुप वालों के पैरों में ख़ून के थक्के (deep vein thrombosis) विकसित होने का थोड़ा अधिक जोखिम बताया था।
टीम ने बढ़े हुए स्ट्रोक के पीछे छुपे कारणों को स्पष्ट करने के लिए और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता बताई।
इससे युवाओं और वयस्कों में घातक बीमारियों को रोकने वाले नए तरीकों की जानकारी मिल सकेगी।