ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) रोगियों के लिए एक आर्टिफिशियल पैंक्रियाज (Artificial pancreas) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
यह डिवाइस एक एल्गोरिदम (Algorithm) द्वारा संचालित होता है जिसे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में बनाया गया है।
इससे डायबिटीज के प्रचलित उपचार की तुलना में मरीज को दुगुने समय तक सामान्य ग्लूकोज सीमा में रखा जा सकता है।
साथ ही, हाई ग्लूकोज स्तरों का अनुभव करने में लगने वाले समय को भी आधा कर सकते है।
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यह डिवाइस एक ग्लूकोज मॉनिटर और इंसुलिन पंप को एक ऐप संग जोड़ता है। इसे CamAPS HX का नाम दिया गया है।
ऐप को एक एल्गोरिदम द्वारा चलाया जाता है जो बताता है कि लक्षित सीमा में ग्लूकोज स्तर बनाए रखने के लिए कितना इंसुलिन (Insulin) आवश्यक है।
इस डिवाइस का पहले किडनी डायलिसिस की आवश्यकता वाले टाइप 1 डायबिटीज मरीज़ों पर सफल परीक्षण हो चुका है।
टीम ने अब टाइप 2 डायबिटीज पीड़ितों पर इसके सफल परीक्षण की रिपोर्ट दी है।
परीक्षण के दौरान, डिवाइस की मदद से नियमित चिकित्सा लेने वाले डायबिटीज मरीजों ने अपने हाई ग्लूकोज स्तर समय को घटाकर 33% तक कम कर लिया था।
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इसके अलावा, ऐप ने ब्लड शुगर से जुड़े HbA1c के स्तर को भी कम किया था।
ग़ौरतलब है कि डायबिटीज वालों के लिए बढ़ा हुआ HbA1c अधिक समस्याएं विकसित करता है।
प्रचलित उपचार के बाद जहां औसत HbA1c स्तर 8.7% था, आर्टिफिशियल पैंक्रियाज के उपयोग के बाद 7.3% तक देखने को मिला।
HbA1c को मापकर डॉक्टर सप्ताह या महीनों के दौरान किसी व्यक्ति का औसत ब्लड शुगर स्तर जान सकते है।
परीक्षण के दौरान किसी भी रोगी को खतरनाक रूप से लो ब्लड शुगर स्तर का अनुभव नहीं हुआ।
ये सब देखते हुए वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल पैंक्रियाज को एक सुरक्षित, प्रभावी और आसान इलाज बताया है।
परीक्षण में शामिल मरीज़ों ने भी इस डिवाइस के इस्तेमाल पश्चात संतुष्टि और डायबिटीज नियंत्रण में कम समय खर्च की सूचना दी है।
वैज्ञानिक टीम अब इस डिवाइस से एक बहुत बड़े अध्ययन की योजना बना रही है।
उन्होंने टाइप 2 डायबिटीज के सभी रोगियों के लिए इस डिवाइस को व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराने का प्रयास भी शुरू कर दिया है।
इस बारे में और जानकारी नेचर मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है।