YouTube negative effects: आजकल के दौर में सोने से पहले स्मार्टफोन (Smartphone) का इस्तेमाल आम बात है, लेकिन किशोरों (Adolescents) में इसकी बढ़ती लत चिंता का विषय है।
एक हालिया स्टडी ने सोते समय स्मार्टफोन के उपयोग को किशोरों की नींद (Sleep) के लिए दुखदाई बताया है।
स्टडी करने वाले ऑस्ट्रेलिया की फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने विशेषकर YouTube को किशोरों की नींद बेहद खराब करने वाला ऐप कहा है।
उन्होंने पारंपरिक टीवी के मुक़ाबले रात को YouTube देखने से किशोरों की नींद पर लगातार और नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई है।
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12 से 18 वर्ष के 700 से अधिक बच्चों और किशोरों द्वारा सोने से पहले और बिस्तर पर मोबाइल फोन, गेमिंग कंसोल और टीवी देखने से कई चौंकाने वाले तथ्य मिले है।
नतीजों में YouTube लगातार और नकारात्मक रूप से नींद की आदत को प्रभावित करने वाला एकमात्र ऐप पाया गया है।
यही नहीं, YouTube देखना और गेमिंग कंसोल का उपयोग करना दोनों ही अपर्याप्त नींद से जुड़े पाए गए।
विशेषज्ञों की मानें तो किशोरों द्वारा YouTube देखने में बिताए गए प्रत्येक 15 मिनट से उनकी सात घंटे से कम सोने की 24% अधिक संभावना थी।
बिस्तर पर आधे घंटे फोन, लैपटॉप, टैबलेट का उपयोग और YouTube देखने से उनकी नींद में सात से 13 मिनट की देरी होते मिली।
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ऐसा YouTube पर एक वीडियो समाप्त होते ही अन्य पर क्लिक करने की सुविधा के कारण था।
हालांकि, टीवी देखने से सोने का समय प्रभावित होते नहीं मिला। ऐसा टीवी के बजाए फोन में ज़्यादा तल्लीन होने से संभव जाना गया।
इसके अतिरिक्त, देर रात तक स्क्रीन पर देखा गया होमवर्क भी नुकसानदेह पाया गया।
विशेषज्ञों के मुताबिक़, देर से सोने के कारण बच्चे देर से उठते है। इससे उनके सर्कैडियन रिदम में असंतुलन शुरू हो जाता है।
खासकर रात 9 बजे के बाद फ़ोन से निकलने वाली नीली रोशनी उनकी नींद की गुणवत्ता और अवधि को ख़राब कर सकती है।
नतीजों को देखने के बाद, विशेषज्ञों ने वयस्कों के लिए रात में सात से आठ घंटे और 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को आठ से 10 घंटे की नींद ज़रूरी बताई।
स्लीप मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों में, पर्याप्त नींद की कमी से डिप्रेशन होने सहित सोच कौशल और अकादमिक प्रदर्शन में गिरावट की संभावना भी जताई गई।