अधिक समय तक बने रहने वाला तनाव (Chronic Stress) हमारे पूरे शरीर के लिए हानिकारक माना गया है।
इससे केवल दिमाग पर ही नहीं बल्कि अन्य महत्वपूर्ण अंगों पर भी बुरा असर पड़ता है।
एक नई स्टडी ने तो केवल बालों के ज़रिए तनाव मापकर हृदय रोग (Heart disease) की भविष्यवाणी भी संभव कही है।
यह भविष्यवाणी इंसानों के बालों में मौजूद ग्लूकोकार्टिकोइड (Glucocorticoid) स्तर से की जा सकती है।
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बता दें कि ग्लूकोकार्टिकोइड एक तरह का स्टेरॉयड हार्मोन है जो तनाव होने पर निकलने लगता है।
इसे मापकर किसी महिला या पुरुष के भविष्य में हृदय रोगी होने की ठोस संभावना मिल सकती है।
रोमांचक खोज की जानकारी नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने डबलिन के यूरोपीयन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी सम्मेलन में दी है।
उनकी जाँच में तनावग्रस्त लोगों के बालों का ग्लूकोकार्टिकोइड कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का सूचक मिला है।
पहले भी तनाव हार्मोन कोर्टिसोल (Cortisol) एवं कोर्टिसोन (Cortisone)से शरीर के मेटाबॉलिज़्म और फैट में गड़बड़ी देखी गई है।
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लेकिन इन तनाव हार्मोन्स द्वारा दिल की बीमारियां विकसित होने के आंकड़े कम ही मिल पाए है।
इसलिए वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में शामिल हुए 6,341 वयस्क पुरुषों और महिलाओं के बालों की जांच की थी।
उन सभी के बालों के नमूनों द्वारा कोर्टिसोल और कोर्टिसोन के स्तर का विश्लेषण किया गया।
तनाव हार्मोन्स का दिल की बीमारियों से संबंध जानने के लिए औसतन 5-7 वर्षों तक निगरानीं की गई।
उस समय के 133 कार्डियोवैस्कुलर मामलों में हाई कोर्टिसोन वालों को स्ट्रोक या हार्ट अटैक पड़ने की संभावना दोगुनी थी।
यह संभावना 57 वर्ष या उससे कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं को तो तीन गुना अधिक पाई गई।
हालांकि, 57 वर्ष के बाद कोर्टिसोन और कोर्टिसोल दिल की बीमारियां करने में कमज़ोर पड़ गए थे।
वैज्ञानिकों को आशा है कि बालों का टेस्ट भी हृदय रोग के विकास का ख़तरा बताने में सक्षम हो सकता हैं।
ऐसा हुआ तो भविष्य में शरीर के तनाव हार्मोन को कम करने वाले इलाज से दिल के स्वास्थ्य को भी फ़ायदा हो सकता है।
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