Parkinson’s disease: पार्किंसंस रोग नर्वस सिस्टम का ऐसा विकार है जो हमारे शरीर की चाल-ढाल को बुरी तरह प्रभावित करता है।
रोग का वर्तमान में कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन जल्द पहचान से पीड़ितों की मदद हो सकती है।
इस बारे में यूके के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्मार्टवॉच (Smartwatch) द्वारा पार्किंसंस रोग की रोकथाम संभव बताई है।
उनके मुताबिक, स्मार्टवॉच लगभग 7 साल बाद पार्किंसंस रोग से पीड़ित होने वालों को पहले ही पहचान सकती है।
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इसके लिए उन्होंने केवल एक सप्ताह के स्मार्टवॉच डेटा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जोड़ा था।
कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की यह लाजवाब तकनीक नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुई थी।
नवीनतम तकनीक मौजूदा तरीकों की तुलना में पार्किंसंस का जल्द पता लगाने में सक्षम हो सकती है।
जानकारी के लिए, विशेषज्ञों ने यूके बायोबैंक से प्राप्त 103,712 इंसानों के हेल्थ डेटा का विश्लेषण किया था।
उन पुरुषों और महिलाओं ने वर्ष 2013 से 2016 तक सात दिनों के लिए एक मेडिकल-ग्रेड स्मार्टवॉच पहनी थी।
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उनके चलने-फिरने के डेटा की तुलना पार्किंसंस रोगियों व 7 साल बाद रोग प्रभावित इंसानों से किया गया था।
बता दें कि पार्किंसंस रोग मस्तिष्क के सबस्टैंटिया नाइग्रा क्षेत्र में स्थित डोपामाइन न्यूरॉन्स को कमज़ोर करता है।
इन पर दुष्प्रभाव पड़ने से इंसान के शरीर में कंपकंपी, अकड़न और धीमी चाल की समस्या आने लगती है।
हालांकि, पार्किंसंस के ये लक्षण दिखने से पहले ही सबस्टैंटिया नाइग्रा के अधिकतर न्यूरॉन्स ख़त्म हो जाते है।
शुरुआती परिवर्तनों की पहचान में सस्ते, विश्वसनीय और सुलभ तरीकों की आवश्यकता समझी गई है।
उनकी मदद द्वारा बीमारी में मस्तिष्क को व्यापक नुकसान होने से पहले ही रोकथाम शुरू को सकती है।
फ़िलहाल इस बारे में अन्य वैज्ञानिकों द्वारा भी गहन जांच-पड़ताल की आवश्यकता कही गई है।
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