स्मार्टफोन (Smartphone) और डिजिटल टेक्नालॉजी (Digital Technology) से इंसानी दिमाग की कार्य कुशलता और क्षमता पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता, ये कहना है वैज्ञानिकों का।
इस बारे में स्टडी करने वाले सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का कहना था कि आधुनिक टेक्नालॉजी एक सहायक का काम करती है, ना कि दिमाग कमजोर करने का।
नेचर ह्यूमन बिहेवियर पत्रिका में छपे उनके विश्लेषण में कहा गया कि स्मार्ट टेक्नालॉजी ने ऐसे उपकरण दिए है जो जटिल गणना करने, याद रखने और जानकारी सुरक्षित रखने में कुशल है।
इसलिए, भले ही इस तकनीक से जुड़े बहुत सारे प्रभाव नकारात्मक हो, लेकिन हमें इसका एक सकारात्मक पहलू भी याद रखना चाहिए।
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इस विषय में ज्यादा जानकारी देते हुए यूनिवर्सिटी विशेषज्ञों का कहना था कि स्मार्ट टेक्नालॉजी से बने कंप्यूटर, स्मार्टफोन और अन्य डिवाइस ने हमारी सोच को विस्तृत किया है। इससे हमें आगे बढ़ने में मदद मिली है।
उदाहरण के लिए, अब हमें कही भी आने-जाने के लिए नक्शा लेकर बैठने और किसी से रास्ता पूछने की जरूरत नहीं है।
इससे हमारे दिमाग की एनर्जी अन्य कार्यों में इस्तेमाल हो सकती है।
यह सुगमता जीवन के हर हिस्से में देखने को मिलती है। हमें गणित की जटिल विषमताओं को हल करने के लिए कागज-कलम नहीं चाहिए और ना ही फ़ोन नंबर याद करने पड़ते है।
वैज्ञानिकों ने ऐसे परिवर्तन को वास्तव में दिमाग के लिए फायदेमंद बताया और टेक्नालॉजी के सहयोग से ऐसे जटिल कार्यों को भी करना संभव बताया जो इसके बिना एकदम असंभव थे।
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इसके अलावा, स्मार्ट टेक्नोलॉजी हमारे निर्णय लेने के कौशल को बढ़ाती है जो शायद हम अपने दम पर पूरा न कर पाते। जरा सोचिए, स्मार्टफोन में मौजूद जीपीएस टेक्नालॉजी के बिना क्या हम ट्रैफिक फ्री रास्तों को ढूंढ पाते?
अंत में उनका कहना था कि स्मार्ट टेक्नालॉजी इस्तेमाल के कुछ गलत परिणाम हो सकते हो, लेकिन इंसानों को बेवकूफ बनाना तो निस्संदेह उनमें से एक नहीं है।