अमेरिका के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे पहनने योग्य यंत्र का अविष्कार किया है जो मानव शरीर को बायोलॉजिकल बैटरी में बदल देता है।
बायो-बैटरी शरीर में ग्लूकोज, सुक्रोज, फ्रुक्टोज जैसे लगातार मिलने वाले ईंधन का इस्तेमाल करके बिजली उत्पन्न करती है।
साइंस एडवांस नामक पत्रिका में कहा गया है कि एकदम लचीले इस उपकरण को अंगूठी या कड़े की तरह पहन सकते है, बस यह त्वचा को छूना चाहिए। यह शरीर की प्राकृतिक गर्मी को थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर की मदद से बिजली में बदल देता है।
व्यायाम करने पर जैसे ही शरीर गर्म होता है, यह यंत्र उस गर्मी को पकड़ लेता है और थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर की मदद से गर्मी का उपयोग ग्लूकोज की तरह शरीर को ऊर्जा देने में करता है।
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क्षतिग्रस्त होने पर यह डिवाइस खुद को ठीक कर सकता है और पूरी तरह रीसायकल योग्य है।
इसका थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल लचीले पॉलीमाइन कंपाउंड के बेस से बनाया गया है। वैज्ञानिकों ने इस बेस में पतली थर्मोइलेक्ट्रिक चिप्स की एक श्रृंखला को चिपका कर लिक्विड मेटल के तारों से जोड़ रखा है।
यही नहीं, इससे उत्पन्न होने वाली बिजली को जनरेटर के अधिक ब्लॉक जोड़कर आसानी से बढ़ाया भी जा सकता है।
यदि उपकरण टूटता भी है तो टूटे हुए सिरों को इंसानी त्वचा की तरह दोबारा एक साथ चिपकाया जा सकता है और यह मिनटों में आपस में जुड़ जाएंगे।
जब डिवाइस को खत्म करना हो तो इसे एक विशेष सॉल्यूशन में डुबोया जा सकता है जो इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स को अलग करता है और पॉलीमाइन बेस को गला देता है, जिससे कंपोनेंट्स का पुन: उपयोग किया जा सकता है।
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कोलोराडो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, उनके बनाए उपकरण त्वचा द्वारा उत्पन्न एनर्जी से घड़ियों या फिटनेस ट्रैकर्स को चलाने के लिए पर्याप्त है।
क्योंकि इनके डिज़ाइन में अभी कुछ सुधार की गुंजाइश है, इसलिए शोधकर्ताओं का मानना है कि ये बाजार में पांच से दस वर्षों में दिखाई दे सकते है।
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