डॉक्टरों से जोड़ने वाले मोबाइल एप्स (Mobile apps) मरीजों को सस्ते और प्रभावी उपचार प्रदान करा सकते है, ये कहना है हेल्थ एक्सपर्ट्स का।
ऐसी ही एक स्टडी में डॉक्टर-निगरानी वाले मोबाइल एप से ब्लड प्रेशर पर नजर रखकर पुराने हाइपरटेंशन (Hypertension) को रोकने और मरीजों तथा डॉक्टर के बीच संवाद में सुधार होने की बात सामने आई है।
न्यू यॉर्क स्टेट स्थित बिंघहैमटन यूनिवर्सिटी की इस नई स्टडी में एक निजी क्लिनिक के हाइपरटेंशन ग्रस्त 1,600 से अधिक रोगियों पर कई सालों तक नजर रखी गई।
स्टडी को सुगम बनाने के लिए, एक्सपर्ट्स ने रोगियों को नियमित रूप से ब्लड प्रेशर रीडिंग अपलोड करने वाला एक एप बनाकर दिया।
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एप में एक चैट फीचर भी शामिल था, जिससे डॉक्टर और उनके मरीज बातचीत कर सकते थे।
रोगियों को दो ग्रुप में बांटा गया। कुछ ने एप इस्तेमाल किया और कुछ ने नहीं किया।
स्टडी एक्सपर्ट्स ने चार वर्षों तक एप इस्तेमाल करने वाले मरीजों के ब्लड प्रेशर पर नज़र रखी।
उन्होंने मरीजों के ब्लड प्रेशर में उल्लेखनीय कमी पाई। यह प्रभाव हाइपरटेंशन के गंभीर रोगियों में और भी अधिक था।
स्टडी का मानना था कि मोबाइल एप के माध्यम से नियमित सलाह और संयुक्त निर्णय लेना मरीजों के लिए लाभकारी रहा।
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ऐसा डॉक्टर को मरीज की पूरी जानकारी और मिलने के बजाए सीधे एप द्वारा निर्देश देते रहने से संभव हो पाया।
दरअसल, मोबाइल एप की मदद से मरीज अपने स्वास्थ्य को बनाए रखता है। यह मरीज को स्वयं देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे अक्सर बेहतर परिणाम मिलते है।
स्टडी के नतीजे हेल्थकेयर कार्यों पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकते है।
मोबाइल एप के माध्यम से डॉक्टर के अलावा उसके सहायक भी मरीज की मदद कर सकते है। इससे डॉक्टर का समय बचेगा और वह अधिक रोगियों को देख सकता है।
साथ ही, मोबाइल एप से बुजुर्गों, गरीब परिवारों, क्लिनिक आने-जाने वालों को ज्यादा फायदा मिलने की संभावना जताई गई है।
स्टडी के बारे में जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में छापा गया है।
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