Sweat odour for anxiety treatment: मानव पसीने की गंध से भी कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार संभव है।
ये अजीबोगरीब दावा किया है यूरोपीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने। हालांकि, उनकी रिसर्च अभी शुरुआती अवस्था में है।
रिसर्च में दूसरे इंसान के पसीने की गंध सूंघने से कुछ मानसिक रोगियों के सामाजिक चिंता विकार (Social anxiety disorder) में कमी पाई गई है।
रिसर्चर्स भी मानव ‘कीमो-सिग्नल’ (Chemo-signals) के संपर्क में आने पर माइंडफुलनेस थेरेपी प्राप्त रोगियों की चिंता कम जानकर हैरान है।
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बता दें कि मानव ‘कीमो-सिग्नल’ ऐसे केमिकल सिग्नल है जो शरीर की गंध ख़ासकर पसीने से प्राप्त होते है।
पसीने के मॉलिक्यूल्स हमारी ख़ुशी, डर, गुस्सा, उदासी आदि भावनात्मक स्थितियों को उजागर करते है।
प्रारंभिक नतीजे माइंडफुलनेस थेरेपी के साथ इन ‘कीमो-सिग्नल’ को जोड़कर सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर का इलाज बेहतर बताते है।
स्टडी में अकेले माइंडफुलनेस थेरेपी की अपेक्षा दोनों उपायों से बेहतर परिणाम मिलते देखे गए है।
बता दें कि सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। इससे प्रभावित इंसान लोगों से मिलने-जुलने से डरता है।
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वैज्ञानिकों ने ऐसे ही कुछ रोगियों पर बाहरी इंसानों के पसीने से निकले ‘कीमो-सिग्नल’ का असर जाना।
ये पसीना डर या खुशी जैसी विशेष भावनात्मक अवस्थाओं की गंध से युक्त था।
इस विशेष पसीने को 15 से 35 वर्षीय 48 महिला मरीज़ों के अलग-अलग ग्रुप पर आज़माया गया।
उन्हें दो दिन तक चली माइंडफुलनेस थेरेपी के दौरान उपरोक्त पसीने की गंध से अवगत कराया गया।
साथ ही, सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर के कुछ मरीज़ों को स्वच्छ हवा में भी थेरेपी दी गई।
माइंडफुलनेस थेरेपी के दौरान पसीने से मानव शरीर की गंध सूंघने वालों के चिंता स्कोर में लगभग 39% की कमी रही।
जबकि साफ़ हवा में माइंडफुलनेस प्राप्त करने वालों के चिंता स्कोर में 17% की कमी देखी गई।
फ़िलहाल इस प्रभाव के पीछे छिपे रहस्य का पता लगाने की कोशिश जारी है।
लेकिन वैज्ञानकों को उम्मीद है कि इससे सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर का एक नया उपचार मिल सकता है।
इस बारे में और जानकारी यूरोपीय साइकेट्रिक एसोसिएशन से मिल सकती है।