Breathalyzer: भविष्य के डॉक्टर किसी इंसान की सांस से ही उसकी बीमारियों का पता लगा सकते है।
जी हाँ, ये असंभव-सा लगने वाला कारनामा किया है अमेरिकी वैज्ञानिकों ने।
उन्होंने एक अनोखा लेजर-आधारित ब्रेथ एनालाइजर (Breathalyzer) डिवाइस विकसित किया है।
यह डिवाइस इंसानों की सांस जांचकर कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव बता सकता है।
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नया Breathalyzer आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा संचालित होता है।
इसे बनाया है कोलोराडो-बोल्डर यूनिवर्सिटी और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने।
इसकी मदद से उन्हें कैंसर और फेफड़ों की बीमारी का भी पता लगने की उम्मीद है।
उनके मुताबिक, मनुष्य 1,000 से अधिक अलग-अलग अणुओं को सांस से बाहर छोड़ते है।
इन अणुओं में मौजूद केमिकल शरीर में चल रही हलचल की जानकारी देते है।
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कुत्तों, चूहों और मधुमक्खियों को कई रोग सूंघने में माहिर पाया गया है।
यूएस वैज्ञानिकों का बनाया Breathalyzer इसी तकनीक पर आधारित है।
इससे पीसीआर टेस्ट की अपेक्षा COVID-19 का 85 प्रतिशत सही पता लगता है।
COVID-19 सटीकता के लिए 170 इंसानों की सांस के नमूनों की जांच की गई थी।
उन इंसानों ने लार या नाक का नमूना जमा करके पीसीआर टेस्ट करवाया था।
उम्मीद है कि डिवाइस सांस विश्लेषण द्वारा जल्द ही अन्य बीमारियों को भी पहचान लेगा।
अभी यह Breathalyzer कई लेज़र और शीशों की एक जटिल संरचना से बना है।
वैज्ञानिक किसी सांस के नमूने को एक ट्यूब द्वारा पाइप में छोड़ते है।
इसमें से लेजर हजारों अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की रोशनी को गुजारती है।
दर्जनों छोटे दर्पण सांस के अणुओं में से गुजरी रोशनी को कई बार आगे-पीछे धकेलते हैं।
क्योंकि प्रत्येक अणु रोशनी को अलग तरह से अवशोषित करता है। इसलिए सांस के नमूने अलग-अलग छाया डालते है।
पॉजिटिव या नेगेटिव कोरोना के लिए मशीन सेकंड में ही उन विभिन्न छाया का पैटर्न पढ़ सकती है।
फिलहाल वैज्ञानिक Breathalyzer में और सुधार करने की कोशिश कर रहें है।
इस बारे और जानकारी जर्नल ऑफ ब्रीथ रिसर्च में प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है