यूएस के वैज्ञानिकों ने पहली बार ओमेगा-3 फैटी एसिड DHA का नया रूप विकसित किया है।
नए ओमेगा-3 फैटी एसिड DHA से अल्जाइमर रोग, डायबिटीज और अन्य रोगों से प्रभावित नज़र की कमज़ोरी रोकी जा सकती है।
नया ओमेगा-3 फैटी एसिड DHA आंखों की रेटिना तक जाने में सक्षम है। इससे देखने की क्षमता में सुधार की संभावना है।
आँखों के लिए अभी तक मछली के तेल वाले कैप्सूल और अन्य सप्लीमेंट्स का ट्राईसिलग्लिसरॉल (TAG) DHA इस्तेमाल किया जाता है।
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हालांकि, TAG-DHA खून में मिलकर शरीर के अन्य हिस्सों के मुक़ाबले रेटिना में नहीं पहुंच पाता है।
इसलिए DHA का नया और सर्वोत्तम रूप लाइसोफॉस्फोलिपिड (Lysophospholipid) LPC-DHA बनाया गया है।
चूहों पर हुई रिसर्च में LPC-DHA सफलतापूर्वक रेटिना तक पहुंचा है जिससे अल्जाइमर से जुड़ी आंखों की समस्या कम होती मिली है।
LPC-DHA को रेटिना में बेहतर ढंग से DHA बढ़ाते पाया गया है। इससे रोगियों से संबंधित विभिन्न रेटिनोपैथियों को लाभ हो सकता है।
विशेषकर अल्जाइमर रोग और डायबिटीज से जुड़े रेटिनल डिसफंक्शन की रोकथाम या इलाज में नई पहल हो सकती है।
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बता दें कि रेटिना में DHA की कमी नज़र कमज़ोर करती है। नतीजन, अल्जाइमर और अन्य समस्याओं में दिखना बंद हो सकता है।
स्टडी में LPC-DHA प्राप्त चूहों की रेटिना में DHA स्तर और अन्य कार्यों में 96% तक सुधार देखा गया।
इसके विपरीत, TAG-DHA दिए गए चूहों की रेटिना का DHA स्तर अप्रभावित रहा।
स्टडी में दी गई LPC-DHA की खुराक मनुष्यों में प्रतिदिन लगभग 250 से 500 mg ओमेगा-3 फैटी एसिड के बराबर थी।
चूंकि ये स्टडी अभी चूहों पर हुई है इसलिए LPC-DHA का मनुष्यों पर लाभकारी असर देखना बाक़ी है।
अधिक जानकारी अमेरिकन सोसाइटी फॉर बायोकैमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी से प्राप्त हो सकती है।
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