COVID-19 लॉकडाउन (Lockdown) के कारण कई बुजुर्गों के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी वरदान साबित हुई, ऐसा एक सर्वेक्षण से सामने आया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ स्टर्लिंग के विशेषज्ञों के अनुसार, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (Social Networking Sites) को इस्तेमाल करना सीख कर कई बुजुर्ग न केवल अपने दोस्तों, रिश्तदारों से जुड़ सके बल्कि पड़ोसियों के साथ भी नए संबंध बनाने में सफल रहे।
महामारी के दौरान किए गए इस प्रयास से 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को भविष्य में अकेलेपन, अलग-थलग पड़ने और सेहत संबंधी समस्याओं से निपटने में मदद मिलने की संभावना जताई जा रही है।
टेक्नोलॉजी के ऐसे सकारात्मक प्रभाव 1,429 प्रतिभागियों के सर्वेक्षण से मालूम हुए। इनमें से 84 प्रतिशत (लगभग 1,198) 60 से अधिक आयु वाले थे।
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पता चला कि कई लोगों ने अपने मौजूदा सामाजिक संबंधों के साथ ऑनलाइन संपर्क के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तकनीक को सीख लिया था।
सर्वेक्षण में भाग लेने वालों ने बताया कि लॉकडाउन ने उन्हें पहली बार पड़ोसियों और उनके समुदायों के अन्य सदस्यों के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया, जबकि कई ने कहा कि सामाजिक दूरियों ने उनके लिए जो ज्यादा महत्वपूर्ण था, उसे बताकर जीवन को फायदा पहुंचाया।
सर्वेक्षण के नतीजे इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुए थे।
विशषज्ञों को सर्वेक्षण से पता चला कि लॉकडाउन ने वृद्ध लोगों में अकेलेपन की भावनाओं को जन्म दिया।
हालांकि, इसका सकारात्मक पहलू यह रहा कि कुछ वृद्ध लोगों ने ज़ूम, व्हाट्सएप जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स संचालित करना सीख लिया।
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परिणामस्वरूप, वो अपने प्रियजनों के संपर्क में रहने के अलावा एक्सरसाइज क्लासेज या धार्मिक समूहों में भाग लेने में सफल हुए।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की गतिविधियों में लगे हुए ज्यादा अकेलेपन को दूर करने में सक्षम थे।
इसलिए, अकेलेपन को रोकने के लिए वृद्धों को उनकी डिजिटल एजुकेशन बढ़ाने में मदद और दूरस्थ सामाजिक संपर्क का उपयोग करना एक महत्वपूर्ण साधन हो सकता है।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि शारीरिक गतिविधि के माध्यम से सुरक्षित सामाजिक संपर्क को प्रोत्साहित करना और समुदाय में लोगों के साथ जुड़ना भी अकेलेपन को कम करने, स्वास्थ्य सुधारने, सामाजिक गतिविधि और सहयोग बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
बढ़ा हुआ डिजिटल समावेश कितना महत्वपूर्ण है और ऐसी तकनीक न जानने वाले कितनी आसानी से स्वयं को उपेक्षित महसूस कर सकते है, ऐसा COVID-19 के प्रभाव से ही पता चल पाया।
विशेषज्ञ टेक्नोलॉजी के माध्यम से इतने सारे वृद्ध लोगों को एक-दूसरे से जुड़ा हुआ और सक्रिय देखकर उनकी सेहत के प्रति आश्वस्त हुए।
लेकिन, असमर्थ इंसानों या इंटरनेट का उपयोग नहीं करने वालों के पास भी अपने समुदायों और सहयोगी नेटवर्क से जुड़े रहने के दूसरे तरीके हो, ऐसा सुनिश्चित करने को उन्होंने जरूरी बताया।
विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि अकेलेपन और अलगाव से निपटने और वृद्ध लोगों की सेहत में सुधार करने के तरीके पर विचार करते समय यह सर्वेक्षण निसंदेह मूल्यवान साबित होगा।