Myopia Risk in Children and Young People: आजकल के बच्चे और बड़े ज्यादातर समय मोबाइल फोन की स्क्रीन से ही चिपके रहते है, जो कई बार स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताया गया है।
इसी विषय से जुड़े एक और अध्ययन ने बच्चों और युवाओं द्वारा ज्यादा समय तक स्क्रीन में आंखें गढ़ाए रखने से वृद्धों वाली एक गंभीर बीमारी होने का खतरा बताया है।
मायोपिया (Myopia) यानी निकटदृष्टि रोग नाम का यह जोखिम ज्यादा मोबाइल या लैपटॉप इस्तेमाल करने से 80 फीसद तक बढ़ा सकता है। इससे प्रभावित इंसान की नज़र धुंधली हो जाती है।
द लैंसेट डिजिटल हेल्थ में प्रकाशित यह रिसर्च सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, चीन और यूके के खोजकर्ताओं और नेत्र विशेषज्ञों ने की है।
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इस रिसर्च में तीन महीने के बच्चों से लेकर 33 साल तक के युवाओं द्वारा स्मार्ट डिवाइस इस्तेमाल और मायोपिया की जांच वाले 3,000 से अधिक अध्ययनों को देखा गया था।
इन अध्ययनों का विश्लेषण करने के बाद खुलासा हुआ कि मोबाइल फोन जैसे स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन ज्यादा देखने से मायोपिया होने का लगभग 30 फीसद और कंप्यूटर या लैपटॉप से लगभग 80 फीसद तक का खतरा बढ़ जाता है।
रिसर्च दुनिया भर के उन लाखों बच्चों के लिए एक चेतावनी है, जिन्होंने COVID-19 महामारी में स्कूलों के बाद होने पर ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने में अत्यधिक समय व्यतीत किया है।
सबसे बड़ी चिंता की बात तो वैज्ञानिकों का अनुमान है, जिसके मुताबिक साल 2050 तक संसार की लगभग आधी आबादी को मायोपिया हो सकता है।
इसलिए स्मार्टफोन और लैपटॉप पर अत्यधिक निर्भरता एक ऐसी स्वास्थ्य संबंधी चिंता बन गई है, जो तेजी से बढ़ रही है।
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ऐसे में विशेषज्ञों की टीम ने आगे यह समझने के लिए एक तत्काल शोध का आग्रह किया है। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि डिजिटल उपकरणों के संपर्क में आने से हमारी आंखों और नजर पर कैसे-कैसे दुष्प्रभाव पड़ सकते है।
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