COVID-19 Lockdown Effect: कोरोना लॉकडाउन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में वृद्धि से नींद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, ऐसा एक स्टडी ने बताया।
स्लीप जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी ने इटली में हुए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया, जिसमें लॉकडाउन (Lockdown) में इंटरनेट इस्तेमाल पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग दोगुना पाया गया।
ऐसी स्थिति का उपयोगकर्ता की नींद और नींद संबंधी विकार इंसोमनिया (Insomnia) – जिसे अनिद्रा भी कहते है – पर क्या प्रभाव पड़ा, यह जानने के लिए खोजकर्ताओं ने दो हजार से ज्यादा इतालवी नागरिकों से ऑनलाइन कुछ सवाल पूछें।
93 फीसदी उत्तरदाताओं ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में वृद्धि मानी।
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ऐसे नागरिकों में खराब नींद, अनिद्रा के ज्यादा लक्षण, थोड़े समय सोना, देर रात तक जागना और लेट उठने की दिक्कत थी।
ज्यादातर उत्तरदाता खराब नींद और मध्यम से गंभीर श्रेणी के अनिद्रा लक्षणों से पीड़ित पाए गए।
कुछ सात फीसदी उत्तरदाताओं ने ही शाम के समय उपकरणों के इस्तेमाल में कमी बताई।
ऐसे नागरिकों में नींद की गुणवत्ता में सुधार और अनिद्रा के कम लक्षण थे। ये सभी उत्तरदाता जल्दी सोने के आदी थे।
सर्वे ने बताया कि लॉकडाउन ने पहले से ही खराब नींद से पीड़ित लोगों की सोने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
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खोजकर्ताओं का कहना था कि हमारे समाज में सोने से पहले मोबाइल, टीवी, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की स्क्रीन पर आंखे गढ़ाए रखना महामारी से भी पहले का फैशन है।
विशेष रूप से युवाओं में तो इस आदत की जड़ें बहुत गहरी है। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान हुई सोशल डिस्टेंसिंग ने आग में घी का काम किया।
लॉकडाउन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन और नींद की गड़बड़ी के बीच एक मजबूत संबंध बताने वाले नतीजों का प्रस्ताव था कि शाम के समय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से होने वाले खतरों के बारे में अधिक जन जागरूकता बढ़ाना ही स्वस्थ नींद लाने में सहायक हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता बढ़ने के कारण, यह जागरूकता वर्तमान और भविष्य की महामारियों में भी लाभकारी रहेगी।