किसी व्यक्ति की सांस से उसके शरीर में जलने वाले फैट का पता लगाया जा सकता है।
तोहोकु विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक छोटा और कम लागत वाला ऐसा उपकरण बनाया है जो यह माप सकता है कि हमारा शरीर फैट (fat) को कैसे इस्तेमाल करता है।
नए डिवाइस में एक लैंप, एक खोखला ऑप्टिकल फाइबर, और एक छोटा स्पेक्ट्रोमीटर ही शामिल है।
यह डिवाइस इंसान द्वारा सांस छोड़ने से निकली एसीटोन गैस (Acetone Gas) को नाप लेता है और शरीर द्वारा ऊर्जा के रूप में फैट इस्तेमाल करने की क्षमता निर्धारित करता है।
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एसीटोन गैस खून में शरीर की कोशिकाओं द्वारा चर्बी को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने पर उत्पन्न होती है।
वैज्ञानिकों का मानना था कि शरीर द्वारा फैट का उपयोग करने की क्षमता को जानकर कुशल फैट बर्निंग एक्सरसाइज (fat burning exercise) विकसित की जा सकती है।
उपकरण से पता चला कि एक्सरसाइज के दौरान फैट बर्निंग की दर स्थिर रहती है और एक्सरसाइज के बाद यह दर धीरे-धीरे बढ़ती है – यानि फैट जलने का एक बड़ा हिस्सा एक्सरसाइज के बाद सक्रिय होता है।
डिवाइस डायबिटीज पहचानने में भी लाभकारी होगा क्योंकि इसके रोगियों की सांस में एसीटोन गैस की मात्रा ज्यादा होती है।
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