दवाओं की जगह प्रोबायोटिक (Probiotic) के इस्तेमाल से आँखों की एक सामान्य समस्या ठीक हो सकती है।
यह संभावना व्यक्त की है टेक्सॉस स्थित बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स ने।
उनकी एक स्टडी में प्रोबायोटिक से चूहों को ड्राई आई सिंड्रोम (Dry eye syndrome) में राहत पाई गई है।
उपरोक्त समस्या ग्रस्त इंसानों के आंसू उनकी आँखों को पर्याप्त रूप से चिकनाई नहीं दे पाते हैं।
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नतीजन, आँखों में जलन, खुजली, सूजन, धुंधली दृष्टि जैसी दिक़्क़तें होने लगती है।
सही इलाज न मिलने से आँखें ख़राब हो सकती है। आम उपचारों में आई ड्रॉप, जैल या मल्हम शामिल है।
इस नए और अपरंपरागत उपचार में आंतों के लाभदायक बैक्टीरिया का कमाल देखा गया है।
रिसर्चर्स के अनुसार, आंत के स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया से कई रोगों के ख़िलाफ़ सुरक्षा मिलती है।
इसलिए, आँखों की समस्या पर हुए उनके चमत्कारी असर से हमें कोई हैरानी नहीं हुई है।
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नई स्टडी में, प्रोबायोटिक बैक्टीरियल स्ट्रेन ‘लिमोसिलैक्टोबैसिलस रीयूटेरी DSM17938’ (Limosilactobacillus reuteri DSM17938) का उपयोग किया गया था।
एंटीबायोटिक की तुलना में उपरोक्त प्रोबायोटिक से उपचारित चूहों के नेत्र स्वास्थ्य पर अधिक सुरक्षात्मक प्रभाव दिखे।
पांच दिनों के बाद, DSM17938 बैक्टीरिया खिलाए गए चूहों के कॉर्निया की सतह स्वस्थ व अधिक मजबूत थी।
यही नहीं, उनकी आंखों के टिश्यू में अधिक गॉब्लेट कोशिकाएं (Goblet cells) भीं मौजूद पाई गई।
ये विशेष कोशिकाएं आँसूों में शामिल एक आवश्यक घटक म्यूसीन (Mucin) का उत्पादन करती हैं।
नतीजों की मानें तो सही प्रोबायोटिक सेवन से ड्राई आई सिंड्रोम का इलाज करने में मदद मिल सकती है।
यह स्टडी अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत की गई थी।
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