Muscle-building food: मांसपेशियों के निर्माण और रख-रखाव में सभी प्रोटीनों की गुणवत्ता एक समान नहीं होती हैं।
इन दिनों शाकाहार के बढ़ते चलन के कारण सोयाबीन (Soy) फ़ूड प्रोडक्ट्स ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं।
लेकिन इंसानी मांसपेशियों के लिए सोया प्रोडक्ट्स पशुओं के मांस (Meat) जितना असरदार नहीं है।
यह दावा किया है यूनिवर्सिटी ऑफ़ अर्कांसस फ़ॉर मेडिकल साइंसेज़ की एक नई स्टडी ने।
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स्टडी ने सोया की तुलना में बीफ़ (कीमा) को मांसपेशियों के निर्माण में अधिक प्रभावी पाया है।
स्टडी के मुताबिक, किसी व्यक्ति को बीफ़ (Beef) सेवन जैसा असर पाने के लिए सोया की दोगुनी मात्रा चाहिए।
इसके लिए व्यक्ति को 4 औंस बीफ़ पैटी (लगभग 113 ग्राम) की बजाए सोया से बनी 8 औंस पैटी खानी होगी।
यानी मांसपेशियों के निर्माण में जो काम बीफ़ की सिर्फ़ एक सर्विंग करती है, उसके लिए सोया की दो सर्विंग चाहिए।
यही नहीं, बीफ से मिली 279 कैलोरी की तुलना में सोया फ़ूड की कैलोरी भी ज्यादा (लगभग 462) होगी।
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बीफ़ और सोया दोनों कंप्लीट प्रोटीन कहे गए है, लेकिन इंसानी मासपेशियां बीफ़ प्रोटीन को कुशलता से उपयोग करती है।
बढ़ती उम्र में शारीरिक गतिविधियों और उत्तम स्वास्थ्य के लिए शरीर को ज्यादा प्रोटीन की जरूरत पड़ती है।
ऐसे समय में मांसपेशियों की ताकत, संतुलन और स्वास्थ्य क्षमता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
खासकर बुजुर्गों के लिए भोजन एवं एक्सरसाइज से मांसपेशियां स्वस्थ रखना जीवन की गुणवत्ता में बड़ा अंतर ला सकता है।
इसलिए सोया की अपेक्षा पोषक तत्वों से भरा बीफ़ कम कैलोरी में भी मांसपेशियां बनाने में अधिक योगदान दे सकता हैं।
18 से 40 वर्ष के 24 स्वस्थ वयस्कों पर हुई यह स्टडी अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुई थी।
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