Mental Health Tips: मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) में गिरावट से कई तरह के विकार पैदा होते है। इनसे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होने के साथ ही जल्द मौत का ख़तरा भी बना रहता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे ज़्यादा हानिकारक है – डिप्रेशन (Depression)। यह समस्या हमारी लाइफस्टाइल का एक अभिन्न अंग है, जिसके गहराते साये से शायद ही कोई इंसान अछूता रहा हो। यहां कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी ने डिप्रेशन के कुछ सामान्य लक्षणों पर ध्यान देना रोकथाम के लिए आवश्यक बताया है।
अगर सुबह जागने पर बिस्तर से न उठने या बेवज़ह पड़े रहने का मन करता हो तो यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। दरअसल, डिप्रेशन दिमाग़ को थका देता है। यह समस्या हमें शारीरिक रूप से इस हद तक कमज़ोर महसूस करा सकती है कि सुबह उठने या नहाने जैसे छोटे-छोटे काम भी थकावट या खीझ लाने वाले महसूस हो सकते है।
डिप्रेशन के साथ आने वाली शारीरिक और मानसिक थकान हमारी नींद की आदतों को भी प्रभावित कर सकती है। इनमें दिन भर सोना, समय गुजारने के लिए नींद का सहारा लेना या अन्य दैनिक गतिविधियों की अपेक्षा नींद को प्राथमिकता देना प्रमुख है। इसके अलावा, कम सोना, जागते रहना या ख़राब नींद भी हमारी चिंता के स्तर को बढ़ा सकती है।
डिप्रेशन से हमारी भूख और खाने की आदतें भी प्रभावित हो सकती है। कुछ लोगों को भूख ज़्यादा जबकि अन्यों को कम या बिल्कुल भी नहीं लगती है। नींद की आदतों में बदलाव आते ही खाने के तरीके में भी बदलाव हो सकते है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नींद हमारे भूख हार्मोन को नियंत्रित करती है, जो हमें अधिक या कम खाने से बचाता है।
डिप्रेशन से हमारे मूड में भी हरपल बदलाव आने लगते है। एक मिनट में ही हम क्रोधी, शांत, उदास, दुःखी या सुन्न हो सकते है। यदि आप कुछ दिनों से अधिक समय तक चिड़चिड़ापन या मिजाज में उतार-चढ़ाव का एक पैटर्न महसूस कर रहें है तो यह डिप्रेशन से जुड़ा हो सकता है।
डिप्रेशन में हमारे आसपास की सभी आनंददायक चीजें और करीबी लोग बेमानी लगने लगते है। इससे प्रभावित इंसान अपने शौक, दोस्तों और सामाजिक गतिविधियों में रुचि खोना शुरू कर सकते हैं। पहले पसंद आने वाली चीजों में रुचि या आनंद नहीं आना डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। दोस्तों, परिवार के सदस्यों या अन्य शुभचिंतकों से अलग-थलग रहना डिप्रेशन को बढ़ा सकता है।
Also Read: डिप्रेशन और चिंता से बचना हो तो एक्सरसाइज कीजिये: रिसर्च