आंत (colon) पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन कई अलग-अलग बीमारियों जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis), क्रोहन रोग (Crohn’s disease), डाइवर्टिक्युलर डिजीज (diverticular disease), इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) और कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer) के कारण इस पर बुरा असर पड़ता है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, सही भोजन और समय पर कोलोनोस्कोपी (colonoscopy) से इन बीमारियों को रोका जा सकता है। कोलन के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आहार में इन बातों का ध्यान रखें।
भोजन में शाकाहारी खाद्य पदार्थ लें साबुत अनाज, सब्जियां, फल, नट्स, बीज, बीन्स और दाल से भरपूर आहार लें। अपनी प्लेट के कम से कम आधे हिस्से में पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें। इनमें कई लाभकारी विटामिन, खनिज, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते है जो कैंसर से लड़ने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में हमारी मदद करते है।
मीठा कम खाएं अध्ययनों में अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis) और क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के मरीजों को अक्सर आहार में ज्यादा चीनी और कम फाइबर खाते देखा गया है। हालांकि चीनी सीधे तौर पर कोलन कैंसर से नहीं जुड़ी है लेकिन मीठे से बने खाद्य पदार्थ अक्सर ज्यादा कैलोरी के होते है। इस वजह से ये वजन बढ़ाने और मोटापे का कारण बन सकते है। वैसे भी एक दिन में 35 ग्राम से कम चीनी खाना सेहत के लिए अच्छा रहता है।
फाइबर ज्यादा खाएं अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च और कैंसर सोसाइटी प्रत्येक दिन कम से कम 30 ग्राम फाइबर लेने की सलाह देते है जो साबुत अनाज, रंगीन फलों, सब्जियां, नट्स और बीन्स से मिल सकता है। यदि फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ नहीं ले सकते तो कोई फाइबर सप्लीमेंट लेना फायदेमंद होगा। फाइबर कब्ज को रोकने के साथ ही आंतों की सफाई भी करता है। इससे बवासीर और अन्य बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।
साबुत अनाज चुनें विश्व में प्रचलित आहार संबंधी दिशानिर्देश सभी वयस्कों को दैनिक अनाज का कम से कम आधा हिस्सा साबुत अनाज के रूप में लेने की हिदायत देते है। कुछ आसानी से उपलब्ध साबुत अनाज में जौ, क्विनोआ, बिना छना गेहूं का आटा, भूरे चावल और दलिया शामिल है। इन खाद्य पदार्थों में रिफाइंड अनाज जैसे मैदा या छिलका उतरे चावल की तुलना में अधिक विटामिन, खनिज, फाइबर, आवश्यक फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट होते है।
रेड मीट का सीमित सेवन अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, प्रतिदिन सौ ग्राम रेड मीट या 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट जैसे सॉसेज, बेकन या हॉट डॉग खाने से कोलन कैंसर का खतरा 15 से 20 फीसदी तक बढ़ जाता है। इसलिए गोमांस, सूअर का मांस और मटन के बजाए चिकन और मछली को प्राथमिकता दें। इसके अलावा, बहुत अधिक तापमान पर रेड मीट न पकाएं अन्यथा इसमें कैंसर करने वाले रसायन भर जाते है।
HBS Online
March 16, 2021