फलों और जड़ी-बूटियों से मिलने वाले औषधीय गुणों से अनेकों असाध्य बीमारियों का इलाज हुआ है। अब दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन शुरू किया है, जिसका उद्देश्य जड़ी-बूटियों और फलों की चिकित्सा से हल्के या मध्यम लक्षणों वाले COVID-19 रोगियों को ठीक करना है। इस बीच, विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने कुछ ज्ञात प्राकृतिक स्रोतों से बीमारियों के ठीक होने की बात कही है:
हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में पोटेशियम से भरपूर केले, एवोकाडो और शकरकंद को खाना उतना ही महत्वपूर्ण हो सकता है, जितना कि नमक को कम करना। पोटेशियम से भरपूर आहार शरीर की मांसपेशियों को सुचारु रूप से काम करने में मदद करते है, जिसमें दिल और फेफड़ों की मांसपेशियां भी शामिल है। यह खनिज पोषक तत्वों को कोशिकाओं में ले जाने और व्यर्थ उत्पादों को कोशिकाओं से बाहर निकलने में भी मदद करता है।
यूनिवर्सिटी के शोध अनुसार, दिन में कम से कम एक कप कॉफी पीने से कोलन कैंसर का खतरा कम होता है। साल 2020 के एक अध्ययन में मेटास्टेटिक कोलन कैंसर के रोगियों के लिए भी कॉफी पीना लाभकारी रहा। कॉफी चाहे जैसी भी हो, यह बीमारियों को रोकने वाले एंटीऑक्सीडेंट का सबसे बड़ा स्रोत है। बेहतर मस्तिष्क कार्य और गंभीर बीमारियों का कम जोखिम, इसके कई प्रमाणित स्वास्थ्य लाभों में से है।
ब्लूबेरी, क्रैनबेरी और अंगूर में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट रेस्वेराट्रोल (Resveratrol), अल्जाइमर रोग से लड़ने में मदद कर सकता है। प्रयोगशाला परीक्षणों में इसे कोशिकाओं में जमा बीटा-एमिलॉइड नामक पदार्थ को तोड़ने में मददगार देखा गया। अल्जाइमर के मरीजों के दिमाग में बीटा-एमिलॉयड प्लाक जम जाते है। हालांकि, प्रयोगशाला के परिणाम इंसानों में सफलता की गारंटी तो नहीं देते, लेकिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक प्रारंभिक मानव चिकित्सा परीक्षणों का हिस्सा भी रहे है।
गाजर में मौजूद फेरुलिक एसिड (ferulic acid) और ग्रीन टी का एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (epigallocatechin-3-gallate -EGCG) भी बीमारियों के खिलाफ प्रभावी देखे गए है। इन अवयवों को प्रयोगशाला में इकट्ठे इस्तेमाल करने पर अल्जाइमर जैसे लक्षणों को कमजोर होते देखा गया। अन्य अध्ययनों में पाया गया है कि ग्रीन टी दांतों की कैविटी, तनाव, थकान, त्वचा का इलाज और डायबिटीज सुधार करने में मददगार साबित हो सकती है।
दुनिया भर में इंसान स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में हर्बल दवाओं पर ज्यादा भरोसा दिखाते है। उदाहरण के तौर पर, जापानी किशमिश के पेड़ से एम्पेलोप्सिन बनाई जाती है। यूएससी स्कूल ऑफ फार्मेसी के जांचकर्ताओं ने पाया है कि यह शरीर से अल्कोहल के दुष्प्रभावों को हटाने और सूजन कम करने में फायदेमंद है। इसके अलावा, हर्बल काढ़ा सिरदर्द और लिवर ठीक करने में उपयोगी पाया गया है।