शरीर में विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) होने से कई घातक रोग पैदा होने का ख़तरा बढ़ने लगता है, ये कहना है साउथ ऑस्ट्रेलिया की एक स्टडी का।
स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि कम विटामिन डी लेवल से शरीर में दर्द और सूजन (Inflammation) बनी रहती है।
हालांकि, इंफ्लेमेशन शरीर को ठीक करने की एक अनिवार्य प्रक्रिया है, लेकिन अधिक समय तक रहने से मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, दिल की और अन्य ऑटोइम्यून बीमारियां हो सकती है।
कम विटामिन डी और अधिक इंफ्लेमेशन के बीच एक आनुवंशिक कड़ी का पता लगाने वाली यह दुनिया की पहली जेनेटिक रिसर्च बताई गई है।
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तीन लाख लोगों पर हुई रिसर्च में इस बात के पुख़्ता सबूत मिले है कि गंभीर बीमारियों के पीछे लगातार बनी रहने वाली इंफ्लेमेशन है, जो विटामिन डी के तय लेवल से कम होने पर हानिकारक हो जाती है।
नतीजों की मानें तो विटामिन डी की कमी वाले लोगों में इसका लेवल बढ़ाने से इंफ्लेमेशन घट सकती है। इससे उन्हें कई संबंधित बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।
बता दें कि घायल होने या संक्रमण की स्थिति में इंफ्लेमेशन हमारे शरीर के टिश्यू को रिपेयर करती है।
इंफ्लेमेशन के चलते लिवर अधिक मात्रा में सी-रिएक्टिव प्रोटीन (C reactive protein -CRP) उत्पन्न करता है। इसलिए जब आपका शरीर दर्द, जलन और सूजन का अनुभव करता है तो यह अधिक CRP का संकेत भी है।
रिसर्च में कम विटामिन डी और CRP अधिक होने के बीच एकतरफा संबंध पाया गया है। इसे इंफ्लेमेशन के रूप में व्यक्त किया गया है। इसकी सामान्य से ज़्यादा मात्रा शरीर में किसी समस्या का संकेत देती है।
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हालांकि, वैज्ञानिकों ने केवल बहुत कम लेवल वाले व्यक्तियों में ही विटामिन डी की मात्रा बढ़ाने से स्वास्थ्य लाभ मिलने की बात कही है।
यह जानना भी ज़रूरी है कि सामान्य लेवल वालों को विटामिन डी अधिक लेने से कोई लाभ मिलते नहीं देखा गया है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी में छपी रिसर्च, विटामिन डी की कमी से बचने के महत्व को उजागर करती है।