विटामिन डी (Vitamin D) एक आवश्यक पोषक तत्व है और इसके निम्न स्तर से कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है।
हाल के शोध बताते है कि विटामिन डी गंभीर COVID-19 के खिलाफ भी मदद कर सकता है।
शिकागो में रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर की क्लीनिकल डाइटीशियन क्रिस्टिन गुस्ताशॉ का कहना है कि आज विटामिन डी की कमी से विश्व की आबादी का एक बड़ा हिस्सा ग्रस्त है।
विटामिन डी से जुड़ी समस्याएं
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वो कहती है, “यह कमी संभवतः थकान, बालों का झड़ना, देरी से घाव भरने, प्रतिरक्षा स्वास्थ्य में कमी, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द तथा अन्य समस्याओं को बढ़ा सकता है।”
विटामिन डी की कमी क्यों
विटामिन डी के गिरते स्तर के पीछे उनका कहना है कि इस विटामिन को बनाए रखने में सबसे बड़ी कठिनाई बहुत सारे फूड प्रोडक्ट्स में इसका न होना या बहुत कम संख्या में होना है। साथ ही, ऑफिस कल्चर के चलते बहुत कम लोगों को धूप मिल पाती है।
विटामिन डी के स्त्रोत
विटामिन डी कुछ खाद्य पदार्थों, सप्लीमेंट और धूप के माध्यम से ही लोगों को मिलता है।
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खाद्य स्रोतों में अंडे की जर्दी, दूध, पनीर, बीफ या काफ लिवर और साल्मन, मैकेरल, टूना और सार्डिन जैसी मछलियां शामिल है।
अन्य खाद्य पदार्थों को विटामिन डी के साथ फोर्टिफ़ाइड किया जाता है, जिसमें कुछ अनाज, ब्रेड, सोया दूध और संतरे का रस शामिल हैं।
क्रिस्टिन के मुताबिक लोगों को दिन में कम से कम 15 से 30 मिनट धूप में रहना चाहिए। साथ ही अपने आहार और सप्लीमेंट से इस पोषक तत्व को निरंतर प्राप्त करना चाहिए।
विटामिन डी कितना चाहिए
बड़ों को हर दिन न्यूनतम 600 IU और 70 साल से अधिक उम्र होने पर 800 IU चाहिए।
बच्चों को हर दिन 600 IU मिलना चाहिए और 12 महीने की उम्र तक के शिशुओं को 400 IU हर दिन मिलना चाहिए।
विटामिन डी के स्तर को निर्धारित करें
रश यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का कहना है कि आप रक्त परीक्षण के माध्यम से अपने विटामिन डी के स्तर को निर्धारित कर सकते हैं। यदि आपके विटामिन डी का स्तर कम है तो अपने डॉक्टर या डाइटीशियन से सलाह लें।
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