जो लोग अपने भोजन में विटामिन सी और ई का ज्यादा इस्तेमाल करते है, उन लोगों में इन विटामिन का उपभोग न करने वालों या कम लेने वालो की तुलना में पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) का खतरा कम होता है।
न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित यह शोध इटली के मिलानो-बियोकोका यूनिवर्सिटी और करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के संयुक्त प्रयासों द्वारा किया गया।
क्या है पार्किंसन रोग
यह रोग चाल-ढाल से संबंधित विकार है जो मस्तिष्क में डोपामाइन नामक एक रसायन की कमी के कारण बोलने, चलने और संतुलन को प्रभावित करता है।
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एंटीऑक्सिडेंट अस्थिर अणुओं को रोककर डोपामाइन को नुकसान पहुंचने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते है।
अध्ययन के लेखक इसके लिए आहार में सुधार की सलाह देते है ताकि सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार किया जा सके।
कैसे पता चला
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने स्वीडन में औसतन 18 साल तक 41,058 वयस्कों पर नजर रखी। किसी को भी अध्ययन की शुरुआत में पार्किंसन रोग नहीं था।
फिर उन सभी को दोनों विटामिन की खपत के अनुसार ज्यादा वाले, माध्यम वाले और तीसरे को सबसे कम वाले ग्रुप में बांटा गया।
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अध्ययन के दौरान, 465 लोगों को पार्किंसन बीमारी हुई।
क्या भूमिका रही दोनों विटामिन की
शोधकर्ताओं की माने तो इस बड़े अध्ययन में पाया गया कि विटामिन सी और विटामिन ई लेने वाले लोगों को पार्किंसन रोग के 32% कम जोखिम था। उन्होंने पाया कि विटामिन सी और ई दोनों का सेवन अधिक होने पर यह संबंध और भी मजबूत हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने देखा कि ज्यादा विटामिन सी लेने वाले ग्रुप में पार्किंसन रोग के सिर्फ 64 मामले थे जबकि उनकी तुलना में कम मात्रा में विटामिन सी लेने वालों के इस रोग से जुड़े 132 मामले थे। इसी तरह विटामिन ई के परिणाम भी थे।
ज्यादा ई लेने वाले लोगों के 67 मामले सामने आये लेकिन सबसे कम मात्रा लेने वालों में 110 मामले थे।
सबसे अधिक खपत वाले समूह में पार्किंसन रोग का जोखिम सबसे कम मात्रा लेने वाले समूह के लोगों की तुलना में 32% कम था।
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