वैज्ञानिक काले मोतियाबिंद, जिसे ग्लूकोमा (Glaucoma) भी कहा जाता है, के संभावित उपचार में विटामिन बी 3 (Vitamin B 3) से आशांवित है।
एक बड़े अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में, स्वीडन के करोलिंस्का इंस्टिट्यूट, सेंट एरिक आई हॉस्पिटल, सिंगापुर नेशनल आई सेंटर, और यूके की कार्डिफ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सामान्य परिस्थितियों और ग्लूकोमा दोनों में आंखों और नर्वस सिस्टम पर निकोटीनमाइड (Nicotinamide) के कई प्रभावों की जांच की है। .
उन्हें सही तरीके से निकोटिनमाइड (विटामिन बी 3 का एक रूप) इस्तेमाल करने के दुष्प्रभाव सीमित, लेकिन ग्लूकोमा पीड़ित जानवरों को अधिक फायदा देने वाले मिले।
प्राप्त आंकड़ों से उनमें उम्मीद जगी कि इंसानों में न्यूरॉन्स (Neurons) की रक्षा और कार्य कुशलता के लिए विटामिन बी 3 उपचार से लंबे समय तक मदद मिलती रहेगी।
भोजन में इस विटामिन को जानवरों के मांस, साबुत अनाज और फलों-सब्जियों से प्राप्त किया जा सकता है।
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आपको बता दें कि काले मोतियाबिंद से अंधे होने का खतरा है। विश्व स्तर पर इससे आठ करोड़ इंसान प्रभावित होते है।
इस बीमारी में, आंख को मस्तिष्क से जोड़ने वाली नस धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाती है।
वर्तमान में उपलब्ध उपचार सिर्फ आंखों में दवा डालना या सर्जरी ही है।
बावजूद इसके, कम से कम एक आंख में अंधेपन का खतरा बरकरार रहता ही है।
इस बीमारी से ग्रस्त अधिकांश 50 वर्ष से अधिक उम्र के होते है। इसके अलावा, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक भी इस रोग के विकसित होने का खतरा हो सकता है।
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वैज्ञानिकों के अनुसार, मोतियाबिंद में देखने से जुड़ी ऑप्टिक तंत्रिका के क्षतिग्रस्त होने का कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसे नए उपचारों को ढूढ़ना जरूरी है, जो रेटिना की कोशिकाओं को मरने से रोके और उनकी मरम्मत कर अंधेपन को ठीक करे।
हालांकि, बीमारी पर विटामिन के प्रभावों का अध्ययन अभी तक जानवरों और सेल मॉडल पर ही संभव हो पाया, पर वैज्ञानिकों ने इसी साल इंसानों पर भी इसके चिकित्सा संबंधी परीक्षण शुरू करने की बात कही।
इंसानी आंखों को नुकसान करने वाली इस घातक बीमारी को ठीक करने से जुड़ा यह अध्ययन रेडॉक्स बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
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