शाकाहारियों (Vegetarians) में मांस खाने वालों (Meat eaters) के मुकाबले गंभीर बीमारियां होने का खतरा कम होता है।
ऐसा फायदा हर उम्र और वजन के व्यस्क शाकाहारी को होता है, भले ही वो धूम्रपान और शराब का सेवन क्यों न करते हो।
ब्रिटेन में लाखों वयस्कों पर हुए एक नए विशाल अध्ययन के बाद यह बात सामने आई।
अध्ययन को यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी में प्रस्तुत किया गया था।
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इसमें शामिल मनुष्यों के खून और पेशाब सैंपल से ग्लासगो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने शरीर में कैंसर, दिल, फेफड़ों, किडनी और उम्र से संबंधित बीमारियों को बढ़ावा देना या रोकने वाले जैविक सूचकों को जांचा।
भाग लेने वालों की आयु 37 से 73 वर्ष थी और पिछले पांच वर्षों से वो या तो शाकाहारी थे, या मांसाहारी।
शाकाहारियों में मांसाहारियों की अपेक्षा डायबिटीज, हृदय रोगों, कैंसर, लिवर, गुर्दे, कोलेस्ट्रॉल आदि से संबंधित बीमारियों वाले सूचक कम स्तर के थे।
हालांकि, शाकाहारियों में दिल के लिए अच्छा समझे जाने वाला एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, विटामिन डी और कैल्शियम बताने वाले सूचक कम स्तर पर थे।
इसके अलावा, उनके खून में चिकनाई का उच्च स्तर और गुर्दे की खराब स्थिति दर्शाने वाले सूचक ज्यादा थे।
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लेकिन शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, लिवर कोशिकाओं को नुकसान आदि के चिकित्सा संकेत नहीं मिले।
वैज्ञानिकों के अनुसार, दिल की बीमारियों और कुछ कैंसर से जुड़े लाल और प्रोसेस्ड मीट नहीं खाने वाले शाकाहारी अधिक सब्जियों, फलों और नट्स का सेवन करते है।
इस कारण उन्हें अधिक पोषक तत्व, फाइबर और अन्य संभावित लाभकारी विटामिन तथा खनिज प्राप्त होते है।
ऐसे पोषण संबंधी अंतर के कारण ही शाकाहारियों में बीमारी बताने वाले सूचकों का स्तर कम होता है।
हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना था कि अध्ययन प्रतिभागियों द्वारा दी गई आहार सेवन की जानकारी पर आधारित था, जिसे एकदम सटीक नहीं कह सकते। इसलिए किसी एक तरह की श्रेणी के आहार को ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी नहीं माना जा सकता।
भविष्य के लिए इस दिशा में और खोज की जानी चाहिए।
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