Health benefits of vegetarian diet: मौसम के बदलते मिज़ाज का संकट टालने के लिए इंसानों को अपने खान-पान का ढंग बदलना होगा, ये कहना है ब्रिटिश वैज्ञानिकों का।
उनके हालिया विश्लेषण में पौधों से मिलने वाले आहार को पोषक तत्वों से भरपूर और पर्यावरण हितैषी, जबकि मांसाहार को पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बताया गया है।
लीड्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने फूड प्रोडक्शन को मौसम में अनापेक्षित बदलाव लाने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (Greenhouse gas emissions) का एक प्रमुख स्रोत बताया है। रेडीमेड और पैकेटबंद भोजन की बढ़ती मांग के चलते यह दुष्प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।
212 इंसानों द्वारा 24 घंटे में खाए गए भोजन का अंदाजा लगाने पर उन्होंने वेजीटेरियन डाइट के मुकाबले नॉन-वेजीटेरियन डाइट से होने वाला गैस उत्सर्जन 59 प्रतिशत ज्यादा पाया।
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रेड मीट ज्यादा खाने के कारण यह उत्सर्जन महिलाओं के आहार की तुलना में पुरुषों के आहार से 41 प्रतिशत अधिक हुआ था।
इसके अलावा, जिन लोगों ने सैचुरेटेड फैट, कार्बोहाइड्रेट और नमक का सेवन डब्ल्यूएचओ द्वारा तय सीमा से अधिक किया था, उन्होंने भी धरती को गरम करने वाली ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ाया।
विश्लेषण के नतीजे, पौधों पर आधारित पौष्टिक खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करने का समर्थन करते है और कॉफी, चाय, बिस्कुट, पेस्ट्री तथा अल्कोहल की जगह अन्य पर्यावरणीय हितैषी विकल्पों को अपनाने का सुझाव देते है।
पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकशित यह रिपोर्ट, पृथ्वी को बचाने के लिए भोजन की आदतों को सुधारने और मांस कम खाने को एक प्रमुख योगदान बताती है।
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