बचपन में खाया बहुत अधिक फैट और मीठा आपकी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया को जीवन भर के लिए बदल सकता है, भले ही बाद में आप स्वस्थ आहार क्यों न खाएं।
यूसी रिवरसाइड के अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी तरह के इस पहले अध्ययन में दिखाया है कि कैसे अल्पायु में अस्वस्थ आहार खाए चूहों के परिपक्व होने पर उनकी आँतों में रहने वाले बैक्टीरिया की संख्या और विविधता में महत्वपूर्ण कमी आई।
आंतों में पाए जाने वाले इन सूक्ष्मजीवों में से अधिकांश प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, भोजन को तोड़ने और महत्वपूर्ण विटामिनों को संश्लेषित करने में मदद करते है।
जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के लिए, टीम ने चूहों को चार समूहों में विभाजित करने के बाद उनके माइक्रोबायोम पर नजर रखी।
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इनमें आधे ‘स्वस्थ’ आहार पर, आधे कम स्वस्थ ‘पश्चिमी’ आहार पर, आधे पहिए पर व्यायाम द्वारा और आधे बिना इसके रखे गए थे।
14 सप्ताह बाद टीम ने इन चूहों में बैक्टीरिया की विविधता और बहुतायत की जांच की।
उन्होंने पाया कि पश्चिमी आहार खाने वाले चूहों में कार्बोहाइड्रेट के पाचन में शामिल मुरीबाकुलम इंटेस्टाइनल (Muribaculum intestinale) जैसे बैक्टीरिया की मात्रा काफी कम हो गई थी।
स्वस्थ आहार और पहिए पर एक्सरसाइज करने वाले चूहों में मुरीबाकुलम बैक्टीरिया बढ़े हुए मिले लेकिन अधिक वसा वाला आहार खाने वाले चूहों में एक्सरसाइज करने या न करने के बावजूद ये बैक्टीरिया कम हो गए।
कुल मिलाकर, शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रारंभिक जीवन में व्यायाम करने की अपेक्षा कुपोषित पश्चिमी आहार खाने का शरीर के माइक्रोबायोम पर अधिक समय तक प्रभाव पड़ा।
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इन निष्कर्षों के लिए हालांकि शोधकर्ताओं ने चूहों का अध्ययन किया मगर उनका मानना था कि बच्चों के माइक्रोबायोम भी वसा और ज्यादा मीठे वाला आहार लेने पर उनके यौवन के छह साल बाद तक ऐसे ही प्रभावित रहेंगे।
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