फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले फ्लेवोनॉयड्स (Flavonoids) कोरोना वायरस (Coronavirus) की रोकथाम में एक प्रभावी उपचार साबित हो सकते है, ऐसी संभावना ईरानी वैज्ञानिकों ने व्यक्त की है।
फ्लेवोनॉयड्स में संक्रमण और रोगाणुओं को आरंभिक अवस्था में बाधित करने के औषधीय गुण होते है। साथ ही, इनके इस्तेमाल से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत बनती है।
वैज्ञानिकों की टीम ने इन्ही औषधीय गुणों की एंटीवायरल क्षमताओं का आकलन करते हुए कोरोना वायरस रोग फैलाने वाले SARS-CoV-2 के खिलाफ संभावित उपचार के रूप में कई तरह के फ्लेवोनॉयड्स पर ध्यान केंद्रित किया।
फ्लेवोनॉयड्स और SARS-CoV-2 के खिलाफ उनकी एंटीवायरल (Antiviral) क्षमता की व्यापक समीक्षा हाल ही में मोलेक्यूल्स पत्रिका में भी प्रकाशित हुई है।
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टीम ने फ्लेवोनॉयड्स की एंटीवायरल क्षमता को उनके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव द्वारा वर्गीकृत किया।
प्रत्यक्ष प्रभाव में फ्लेवोनॉयड्स सीधे वायरस पर असर करते है और अप्रत्यक्ष प्रभाव में फ्लेवोनॉयड्स वायरस के खिलाफ होस्ट के रक्षा तंत्र में सुधार करते है।
फ्लेवोनॉयड्स द्वारा प्रत्यक्ष एंटीवायरल गतिविधि में वायरस के हानिकारक एंजाइम को रोकना चिकित्सा का प्रमुख हिस्सा है।
ऐसी चिकित्सा में केम्पफेरोल (Kaempferol) जैसे फ्लेवोनॉयड अपने एंटीवायरल क्षमता से वायरस को बाधित करने में असरदार पाए गए है। कैम्पेरोल विभिन्न प्रकार के पौधों और केल, बीन्स, चाय, पालक और ब्रोकोली आदि में पाया जाता है।
फ्लेवोनॉयड्स की अप्रत्यक्ष एंटीवायरल गतिविधि में संक्रमण की गंभीर जटिलताओं को रोकने के लिए SARS-CoV-2 के खिलाफ इम्यून सिस्टम को मजबूत करना शामिल है।
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इसमें एपिगैलोकैटेचिन गैलेट (Epigallocatechin Gallate – ईजीसीजी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। हालांकि, ईजीसीजी मुख्य रूप से ग्रीन टी में पाया जाता है, लेकिन यह ऊलोंग और काली चाय, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, कीवी, चेरी, नाशपाती, आड़ू, सेब और एवोकाडो में भी कम मात्रा में होता है।
ईजीसीजी में एंटिफंगल, जीवाणुरोधी और साथ ही एंटीवायरल गुण पाए गए है। इस कारण यह SARS-CoV-2 जैसे वायरल संक्रमणों को व्यक्तियों के बीच संचारित होने को बाधित कर सकता है।
वायरस संक्रमण के खिलाफ ऐसा ही एंटीवायरल प्रभाव एक महत्वपूर्ण पारंपरिक चीनी जड़ी बूटी से निकले बैकालिन (Baicalin) फ्लेवोनॉयड से भी देखने को मिला है।
वैज्ञानिकों की आरंभिक जांच में सीमित लेकिन आशाजनक नतीजों का मिलना इस बात का संकेत है कि पौधों से मिलने वाले फ्लेवोनॉयड्स वायरस के खिलाफ फायदेमंद साबित होंगे।
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