ज्यादा चिकनाई, मीठा और बिना फाइबर वाला भोजन आंत (Gut) को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पेट में संक्रमण (Infection) और जलन (Inflammation) का खतरा बढ़ सकता है।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और क्लीवलैंड क्लिनिक के वैज्ञानिकों ने बताया कि चिकनाई और चीनी से भरपूर पश्चिमी सभ्यता का खान-पान (Western Diet) छोटी आंत में स्थित अत्यधिक विशिष्ट कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और आंत की प्रतिरक्षा प्रणाली को बाधित करता है।
चूहों और इंसानों पर किए गए एक अध्ययन से उन्हें पता चला कि इस तरह के आहार से छोटी आंत में स्थित पैनेथ कोशिकाओं (Paneth Cells) को नुकसान होता है।
ये कोशिकाएं आंत में संक्रमण को नियंत्रित करती है।
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इनके ठीक से काम न करने पर आंत की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) बीमारियां करने वाली अत्यधिक जलन से ग्रस्त हो जाती है। नतीजन, प्रभावित इंसानों में आंतों के विकार पैदा करने वाले रोगाणुओं का कब्जा हो जाता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, तेजी से बढ़ती पश्चिमी जीवनशैली से आंत्र रोग सूजन (Inflammatory bowel disease) विश्व स्तर पर आम होता जा रहा है।
लंबी अवधि तक बिना फाइबर वाला लेकिन चिकनाई और मीठे से भरा आहार आंत में प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नुकसान करता है, जिससे आंत में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
संक्रमण रोकने वाली पैनेथ कोशिका की शिथिलता के कारण का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने 400 लोगों के चिकित्सा आंकड़ों का विश्लेषण किया और उनकी पैनेथ कोशिकाओं की जांच की।
उन्होंने पाया कि बीएमआई (BMI) जितना अधिक होगा, पैनेथ कोशिकाएं उतनी ही खराब होंगी।
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ऐसी ही पैनेथ कोशिकाएं मोटे चूहों में भी थीं, जो उन्हें ज्यादा फैट और मीठे से बना भोजन देते रहने से असामान्य हो गई थी।
हालांकि चूहों में तो पैनेथ कोशिकाएं चार सप्ताह तक पौष्टिक आहार देने से सामान्य हो गईं, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान था कि पश्चिमी आहार खाने वाले इंसानों में आहार बदलाव करके भी आंत की प्रतिरक्षा में सुधार मुश्किल होगा।
उनका तर्क था कि मोटापा रातों-रात नहीं आता। मोटे इंसानों की जीवनशैली लगभग 20-30 सालों तक खराब रहती है।
ऐसे में आहार बदलने से भी पैनेथ कोशिकाएं ठीक नहीं होती। बेहतर है कि पाश्चात्य सभ्यता के भोजन पर बचपन से ही नियंत्रण रखा जाए।
अध्ययन के निष्कर्ष सेल होस्ट एंड माइक्रोब पत्रिका में प्रकाशित किए गए।