खराब गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट (carbohydrates) ज्यादा मात्रा में खाने से दिल के दौरे, स्ट्रोक और मृत्यु का खतरा अधिक होता है।
ऐसा न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक बड़े अध्ययन में पांच महाद्वीपों के एक लाख से ज्यादा निवासियों के आहार को जांचने से पता चला।
मैकमास्टर और टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अनुभव किया कि घटिया कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खाने से दिल की बीमारी होने की आशंका पहले से ही पीड़ित और स्वस्थ – दोनों में एक समान थी।
इस अध्ययन में औसतन 35 से 70 वर्ष की आयु के 1,37,851 लोगों का साढ़े नौ साल तक निरीक्षण किया गया।
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अधिकांश फलों, सब्जियों, और साबुत अनाज खाने वालों को कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (low glycemic index) श्रेणी में रखा गया जबकि व्हाइट ब्रेड, आलू, नूडल्स और पॉलिश चावल खाने वालों को खून में शुगर लेवल तेजी से बढ़ाने वाले उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (high glycemic index) में रखा गया।
इस दौरान प्रतिभागियों में 8,780 मौतें और 8,252 प्रमुख हृदय संबंधी घटनाएं दर्ज की गई।
जांचकर्ताओं ने उनके कार्बोहाइड्रेट के सेवन को हृदय रोग या मृत्यु से जोड़ कर देखा।
दिल की बीमारी से पीड़ित जो लोग उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स से जुड़ें आहार का ज्यादा सेवन कर रहे थे, उनमें हृदय-संबंधी बीमारियों, स्ट्रोक या मृत्यु होने की संभावना 50 प्रतिशत अधिक थी। मोटे लोगों को भी इन बीमारियों के खतरे ज्यादा थे।
ताज्जुब की बात यह थी कि जिन लोगों में ऐसी कोई बीमारी पहले कभी नहीं हुई थी, उनमे भी इनके होने की संभावना 20 प्रतिशत अधिक थी।
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लेकिन कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड (कार्बोहाइड्रेट खाने के बाद ब्लड शुगर का स्तर) से जुड़ा आहार खाने से हृदय रोग और मृत्यु की आशंका कम थी।
वर्तमान और कई अन्य अध्ययन इस बात पर जोर देते है कि भोजन में ज्यादा फैट खाने के मुकाबले खराब गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट से सेहत पर अधिक बुरा असर पड़ता है।
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