Plant-based diet benefits: मीट और दूध से बनी चीज़ों की अपेक्षा पौधों से मिलना वाला भोजन शरीर में बीमारियों का ख़तरा कम करता है।
ये जानकारी दी है वाशिंगटन डी.सी. स्थित फिजिशियन कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन संस्था के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने।
उनकी नई स्टडी, शाकाहारी खाने से शरीर में जलन, सूजन और तनाव पैदा करने वाले उन्नत ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स (Advanced glycation end-products – AGEs) में 79% की कमी बताती है।
इसके विपरीत, मांस और डेयरी उत्पादों वाला भोजन खाने से ऐसी रोगजनक अवस्था में केवल 15% की कमी होती है।
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एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स यानी एजीई में कमी से बेहतर इंसुलिन सहित मोटापे में साढ़े छ किलो तक वज़न घटने की सूचना मिली है।
नतीजे बताते है कि शाकाहार की तुलना में चिकनाई युक्त पशु उत्पादों को अधिक मात्रा में खाने से शरीर में बीमारियों का ख़तरा बढ़ता है।
बता दें कि एजीई प्रोटीन या तेल-घी जैसी चिकनाई के ग्लूकोज संग मिल जाने के कारण ख़ून में बनने वाले हानिकारक तत्व है।
एजीई से शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न होता है, जो अंततः गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।
इनमें टाइप 2 डायबिटीज, क्रोनिक किडनी रोग और दिल की कई बीमारियां शामिल है।
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भोजन में पौधों की अपेक्षा पशु उत्पादों की अधिकता शरीर में एजीई की मात्रा बढाती है।
देखा गया है कि हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ख़राब इंसुलिन वालों में एजीई स्तर ज़्यादा होता है।
स्टडी में शामिल अधिक वजन वाले 244 इंसानों द्वारा 16 हफ्तों तक शाकाहारी भोजन खाने से वजन में लगभग 6.4 किलोग्राम की कमी दर्ज की गई।
नतीजन, उनकी आंत में जमा फैट और ख़राब इंसुलिन में महत्वपूर्ण सुधार होते देखे गए।
मांस, डेयरी और अतिरिक्त फैट में क्रमश: लगभग 55%, 26%, और 15% की कमी से शाकाहारियों के एजीई स्तर में कुल 79% की कमी भी देखी गई।
ओबेसिटी साइंस एंड प्रैक्टिस में छपी स्टडी ने, मोटापे, फैट और इंसुलिन सुधार के लिए एजीई कम करने वाले भोजन को महत्वपूर्ण बताया है।