अधिक वजन और मोटापा घटाने में ketogenic diet अपनाना लाभकारी माना जाता है।
लेकिन एक नई स्टडी ने ketogenic diet को आंत बैक्टीरिया और अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लिए हानिकारक पाया है।
बता दें कि ketogenic diet में शरीर को ताकत देने के लिए कार्बोहाइड्रेट कम लेकिन फैट अधिक खाया जाता है।
यूके की स्टडी ने ketogenic diet पर निर्भरता से आंत बैक्टीरिया में कमी और खराब कोलेस्ट्रॉल स्तर में वृद्धि कही है।
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स्टडी में 12 सप्ताह तक 53 स्वस्थ वयस्कों पर कम चीनी (कार्बोहाइड्रेट) व ketogenic diet का असर देखा गया था।
Ketogenic diet के नुकसान
जांच में ketogenic diet खाने से धमनियों में प्लाक बनाने वाले LDL (खराब) कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि मिली।
लेकिन ketogenic diet के मुकाबले कम चीनी युक्त डाइट ने एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को काफी कम कर दिया।
कम चीनी युक्त डाइट की अपेक्षा ketogenic diet ने आंत माइक्रोबायोम संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
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Ketogenic diet ने विशेष रूप से प्रोबायोटिक्स में पाए जाने वाले लाभकारी बैक्टीरिया बिफिडोबैक्टीरिया को कम किया।
यह लाभकारी बैक्टीरिया कोलेस्ट्रॉल घटाने, बी विटामिन उत्पादन सहित रोगजनकों और हानिकारक बैक्टीरिया को रोकता है ।
कम चीनी युक्त डाइट की अपेक्षा ketogenic diet लेने वालों का शरीर कार्बोहाइड्रेट उपयोग में अकुशल भी पाया गया।
हालांकि, स्टडी में शरीर पर ketogenic diet के नकारात्मक प्रभावों के बावजूद कुछ लाभ भी जाने गए।
मसलन, 12 हफ्तों तक ketogenic diet और कम चीनी लेने वालों ने क्रमश 2.9 kg और 2.1 kg फैट लॉस किया।
दोनों डाइट लेने वालों के मेटाबॉलिज़्म और मांसपेशियों ने ताकत के लिए ग्लूकोज की जगह शरीर की चर्बी का इस्तेमाल किया।
इसके बावजूद, ketogenic diet वालों के खून में फैट लेवल बढ़ने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक पड़ने का अंदेशा था।
Ketogenic diet से फाइबर में हुई कमी के कारण पाचन तंत्र के रोग और कमजोर इम्यून फंक्शन का डर था।
विशेषज्ञों ने ketogenic diet छोड़ने के बाद ज्यादा कार्बोहाइड्रेट डाइट लेने से इंसुलिन पर बुरा असर बताया है।
इससे शरीर की कार्बोहाइड्रेट इस्तेमाल करने की क्षमता घटती है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
इसलिए अधिकांश लोगों के लिए ketogenic diet की अपेक्षा कम चीनी युक्त डाइट अपनाना बेहतर हो सकता है।
बाथ यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुई यह स्टडी Cell Reports Medicine में प्रकाशित हुई थी।
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