ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor) पीड़ितों के लिए कीटोजेनिक डाइट (Ketogenic Diet) फायदेमंद साबित हो सकती है, ये कहना है एक रिसर्च के वैज्ञानिकों का।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के एक छोटे से अध्ययन में इस तरह की डाइट को एस्ट्रोसाइटोमास (Astrocytomas) नामक ब्रेन ट्यूमर से पीड़ितों के लिए सुरक्षित पाया गया।
आपको बता दें कि कीटोजेनिक डाइट में फैट की मात्रा अधिक और कार्बोहाइड्रेट की कम होती है।
इसे अपनाने वाले सभी मरीजों ने रेडिएशन ट्रीटमेंट और कीमोथेरेपी पूरी कर ली थी।
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हालांकि, इस डाइट को लेने से उनके शरीर और मस्तिष्क में कई बदलाव देखे गए, लेकिन अध्ययन का उद्देश्य डाइट द्वारा ट्यूमर के विकास को धीमा करना या सुधारना नहीं था।
डाइट के विषय में बताते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि कैंसर कोशिकाएं विकास के लिए ग्लूकोज पर निर्भर करती है।
चूंकि कीटोजेनिक डाइट में ग्लूकोज कम होता है, इसलिए शरीर ऊर्जा के लिए फैट पर निर्भर रहता है।
सामान्य मस्तिष्क कोशिकाएं फैट से मिलने वाली ऊर्जा पर जीवित रह सकती है, लेकिन कैंसर कोशिकाएं इसका उपयोग नहीं कर सकती।
अध्ययन में एस्ट्रोसाइटोमास वाले 25 मरीज शामिल थे। उन्होंने आठ सप्ताह तक इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent-Fasting) के साथ एक खास तरह की डाइट का पालन किया।
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उनके खाने में बेकन, अंडे, क्रीम, मक्खन, पत्तेदार हरी सब्जियां और मछली शामिल की गई।
सप्ताह में पांच दिन उन्होंने डाइट फॉलो की और दो दिन का उपवास रखा।
मूत्र परीक्षण से पता चला कि अध्ययन में शामिल 80 फीसदी मरीजों के शरीर ने ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट के बजाय फैट और प्रोटीन का ज्यादा उपयोग किया।
अध्ययन के अंत में, मरीजों के शरीर और मस्तिष्क टेस्ट से पता चला कि हीमोग्लोबिन A1c, इंसुलिन और फैट का स्तर कम था। मस्तिष्क स्कैन से ट्यूमर में आए अधिक परिवर्तनों की पुष्टि हुई।
हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस मामले में और खोज की जरूरत बताई है। लेकिन ब्रेन ट्यूमर वालों के लिए यह डाइट सुरक्षित होने की संभावना है।
कीटोजेनिक डाइट से जुड़ा अध्ययन हाल ही में न्यूरोलॉजी के ऑनलाइन अंक में प्रकाशित किया गया।