Side Effects of Ketogenic Diet: कीटोजेनिक डाइट लेने से गर्भवती महिलाओं और गुर्दे की बीमारी वालों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा है, ऐसा एक विश्लेषण में सामने आया है।
कीटोजेनिक (कीटो) डाइट पर हुए अभी तक के सबसे व्यापक विश्लेषण में, फिजिशियन कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन के अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक ऐसी डाइट लेने से अधिकांश लोगों को हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज, किडनी, लिवर की बीमारी और अल्जाइमर रोग हो सकता है।
ऐसे में इस डाइट से मिलने वाले संभावित लाभ उल्टा असर कर सकते है।
कीटो डाइट कम कार्बोहाइड्रेट और ज्यादा फैट युक्त भोजन के लिए जानी जाती है। लेकिन शोधकर्ताओं ने विशिष्ट कीटो डाइट को ‘बीमारी बढ़ने वाली आपदा’ कहा है।
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उनके अनुसार, लाल मांस, प्रोसेस्ड मांस और सैचुरेटेड फैट खाने और कार्बोहाइड्रेट युक्त सब्जियां, फल और साबुत अनाज न लेना सेहत खराब करने में सक्षम है।
फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन में प्रकाशित उनका विश्लेषण बताता है कि कीटो डाइट प्रेग्नेंट या प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से असुरक्षित हो सकती है। कम कार्ब वाली डाइट से बच्चे का पोषण बिगड़ सकता है।
कार्बोहाइड्रेट खाना बंद करने से कैंसर पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों की मात्रा भी बढ़ती है।
कीटो डाइट में ज्यादा प्रोटीन गुर्दे की बीमारी वालों के लिए नुकसानदायक है। साथ ही, ज्यादा फैट लेने से कई रोगियों का “खराब कोलेस्ट्रॉल” बढ़ता है।
शोधकर्ताओं की मानें तो कीटो डाइट का इस्तेमाल मुख्य रूप से वजन घटाने में सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि इसमें शरीर एनर्जी के लिए फैट का इस्तेमाल करता है। मगर कुछ समय बाद यह वजन घटाने वाली अन्य डाइट की तुलना में ज्यादा प्रभावी नहीं रह जाती।
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