एनीमिया (Anemia) यानी खून की कमी को रोकने के लिए दुनिया भर में छोटे बच्चों को आयरन (Iron) की खुराक दी जाती है।
हालांकि, ग्रामीण बांग्लादेश में किए एक अध्ययन में देखा गया कि आयरन सप्लीमेंट्स देने से खून की कमी सुधारने के अलावा छोटे बच्चों के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में, बच्चे की मानसिक क्षमता, व्यवहार और विकास पर आयरन की दवाओं के प्रभाव को मापा गया।
ऑस्ट्रेलिया के वाल्टर और एलिजा हॉल इंस्टीट्यूट तथा अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने पाया कि इन गोलियों या पैकेट सप्लीमेंट ने बाल विकास तो नहीं, अलबत्ता खून की कमी वाले बच्चों में जरूर सुधार किया।
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आयरन सप्लीमेंट्स लेने से बच्चों के सीखने-समझने की क्षमता, भाषा, दिमागी कार्यकुशलता, व्यवहार, ऊंचाई और वजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
शोधकर्ताओं का मानना था दशकों से दुनिया भर में छोटे बच्चों को बिना उचित सबूत के आयरन सप्लीमेंट्स देने की पॉलिसी में इस खोज के बाद बड़े बदलाव हो सकते है।
आयरन की खुराक से बच्चों में एनीमिया तो सुधारा लेकिन दिमागी विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उल्टा, आयरन सप्लीमेंट्स देने से जिन्हें एनीमिया नहीं था, उन्हें डायरिया की गंभीर समस्या हो गई।
अध्ययन के नतीजे देखने के बाद शोधकर्ताओं ने खराब बाल विकास में आयरन के महत्व को सिरे से नकार दिया है।
उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गरीब और कम विकसित देशों के छोटे बच्चों को एनीमिया की रोकथाम के लिए आयरन की खुराक देने वाली सिफारिश पर भी सवाल खड़े किए है और नतीजों के आधार पर ऐसे निर्देशों के पुनर्विचार की आवश्यकता बताई है।
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