फास्टिंग (Fasting) यानी उपवास रखने से वजन घटाने के अलावा दिल की सेहत भी सुधरती है, ऐसा एक जांच में सामने आया है।
इससे जुड़े अमेरिकी रिसर्चर्स का कहना था कि इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) शरीर के भीतर एक प्रमुख प्रोटीन को बढ़ा सकती है, जो सूजन (Inflammation) को नियंत्रित करके दिल की रक्षा करता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग खाने का ऐसा पैर्टन होता है, जिसमें आपको 12 से 16 घंटे के बीच बिना खाये रहना होता है।
ज्यादा जानकारी के लिए रिसर्चर्स ने एक क्लीनिकल ट्रायल से प्राप्त डाटा का विश्लेषण किया था, जिसमें शामिल इंसानों ने केवल पानी पीकर ही सप्ताह में दो बार उपवास किया था।
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लगभग छह महीने तक चले उस ट्रायल से प्राप्त नतीजों को दोबारा जांचने पर विशेषज्ञों ने कई नई बातों का खुलासा किया।
उनका कहना था कि खराब कोलेस्ट्रॉल पर तो फास्टिंग का असर नहीं हुआ, लेकिन इंसुलिन जरूर बेहतर हो गया। फलस्वरूप, डायबिटीज और दिल की बीमारियां बढ़ाने वाली अन्य स्थितियों में भी सुधार देखने को मिले।
ऐसे सुधार उन दवाओं लेने जितने ही असरदार थे, जो गैलेक्टिन -3 (galectin-3) नामक प्रोटीन के स्तर को भी बढ़ाती है और सूजन को नियंत्रित रखती है। यही सूजन हार्ट फेलियर और डायबिटीज का एक प्रमुख कारण मानी जाती है।
हालांकि, हृदय रोग जोखिम कारकों को सुधारने में फास्टिंग की भूमिका पर आगे और रिसर्च की बात भी कही गई है। इसके अलावा, केवल पानी पीकर उपवास रखना अधिकांश लोगों के लिए व्यावहारिक नहीं बताया गया है।
इसे सरल बनाने के लिए रिसर्चर्स ने 12 से 16 घंटे की फास्टिंग का सुझाव दिया है। इसमें शाम 6 बजे तक ही भोजन करना और अगले दिन सुबह 8 या 10 बजे तक दोबारा खाना शामिल है।
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इंटरमिटेंट फास्टिंग से हृदय रोग जोखिम कारकों में सुधार का यह विश्लेषण अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के साइंटिफिक सेशंस सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था।
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