हमारे पूर्वज मांसाहारी थे और बड़े जानवरों का मांस खाना पसंद करते थे। वो मजबूरी में शाकाहारी बने, ऐसा वैज्ञानिकों की नई खोज में सामने आया।
अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजिकल एंथ्रोपोलॉजी में प्रकाशित एक पेपर में, तेल अवीव विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाषाण युगीन (stone age) मनुष्यों के आहार को जानने के बाद कहा है कि उन्होंने लगभग बीस लाख वर्षों तक एक सर्वोच्च शिकारी का जीवन जिया, जिसमें उनका मुख्य भोजन हाथी जैसे बड़े जानवर ही थे।
पाषाण युग के अंत में बड़े जानवरों के विलुप्त होने के बाद भोजन का कोई और विकल्प मिलता न देख, उन्होंने धीरे-धीरे वनस्पति और छोटे जानवरों की तरफ ध्यान देना शुरू किया और किसान बन गए।
प्राचीन मानव विशेष रूप से मांसाहारी थे या सर्वाहारी – इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए वैज्ञानिकों ने विभिन्न विषयों से जुड़े लगभग 400 साइंटिफिक पेपर खंगालकर साक्ष्य एकत्र किए।
अपने प्रस्तावित तथ्य के लिए वैज्ञानिक मानव पेट में मिलने वाली अम्लता (acidity) की ओर इशारा करते है जो धरती पर रहने वाले अन्य शिकारियों (predators) और सर्वहारियों (omnivores) से बहुत ज्यादा तीक्ष्ण है और खाए गए जानवरों को गलाने में समर्थ है।
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उनके अनुसार, पेट में मौजूद हमारी तेज अम्लता (तेजाब) मांस में पाए जाने वाले हानिकारक जीवाणुओं से सुरक्षा प्रदान करती है।
प्रागैतिहासिक मनुष्य (prehistoric human) जानवरों को मारने के बाद उनके मांस को अक्सर कई दिनों तक खाया करते थे। बासी मांस में बड़ी मात्रा में बैक्टीरिया होते है, इसलिए उच्च स्तरीय अम्लता की आवश्यकता होती है।
उनके मांसाहारी होने का एक और संकेत हमारे शरीर की वसा कोशिकाओं (fat cells) की संरचना में भी मिलता है।
सर्वहारियों के शरीर में चर्बी बड़ी वसा कोशिकाओं में कम संख्या में जमा होती है, जबकि मनुष्य जैसे मांसाहारियों में बहुत अधिक संख्या में छोटी वसा कोशिकाएं होती है।
जीवविज्ञान और पुरातन सबूत भी इस बात को मानते है कि मानव ज्यादातर मांसाहारी ही था।
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खुदाई में मिली इंसानी हड्डियों में चर्बी की मात्रा और जानवरों के अवशेष इस बात की गवाही देते है कि हमारे पूर्वज ज्यादा चर्बी वाले बड़े और मध्यम आकार के जानवरों का शिकार कर खाया करते थे। उन्हें अपनी ऊर्जा का लगभग 70 प्रतिशत मांस से ही मिलता था।
बड़े जानवरों के विलुप्त होने का अध्ययन करने वाले कई शोधकर्ता इस बात से सहमत है कि मनुष्यों द्वारा किए गए शिकार ने ही उनके विलुप्त होने में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
यहां तक कि वनस्पति खाद्य पदार्थों को प्राप्त और जमा करने के लिए जरूरी विशेष उपकरण केवल मानव विकास के बाद के चरणों में मिले, जो मानव आहार में बड़े जानवरों के मांस होने का समर्थन करते है।
अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, फल-सब्जियां केवल पाषाण युग के अंत तक मानव आहार का मुख्य हिस्सा बन पाए।
हालांकि वैज्ञानिकों ने आशंका जताते हुए कहा कि हो सकता है कई शाकाहारी इस पर भले ही विशवास न करें कि उनके पूर्वज मांसाहारी थे, लेकिन वैज्ञानिक वास्तविकता के साथ व्यक्तिगत धारणों को नहीं जोड़ना चाहिए।
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