Olive oil health benefits: खाने में ऑलिव ऑयल यानी जैतून के तेल को इस्तेमाल करने से दिल के दौरे या स्ट्रोक से मरने का खतरा कम हो सकता है, ऐसा एक नई स्टडी में सामने आया है।
स्टडी करने वाले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना इस तेल का आधे चम्मच से अधिक (लगभग 7 ग्राम) सेवन करने से कैंसर, अल्जाइमर, पार्किंसंस रोग तथा सांस की बीमारियों का जोखिम भी कम हो जाता है।
यही नहीं, अध्ययन में प्रतिदिन लगभग 10 ग्राम मार्जरीन, मक्खन, मेयोनेज़ और डेयरी फैट को बराबर मात्रा के जैतून तेल से बदलने पर मृत्यु का जोखिम भी कम होता बताया गया है।
इन सभी जानकारियों के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने लगभग एक लाख लोगों की 28 वर्षों तक निगरानी की थी।
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अध्ययन के निष्कर्ष भोजन में जैतून के तेल और अन्य अनसैचुरेटेड वनस्पति तेलों के सेवन को बढ़ाने की आहार संबंधी सिफारिशों का समर्थन करते है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 60,582 महिलाओं और 31,801 पुरुषों के डाटा का इस्तेमाल किया गया था।
वर्ष 1990 में अध्ययन की शुरुआत के समय उन सभी मनुष्यों को कोई हृदय रोग या कैंसर नहीं था।
हर चार साल में उनके भोजन में शामिल विशिष्ट खाद्य पदार्थों, फैट और तेल के बारे में पूछताछ की जाती थी।
इसके पश्चात, वैज्ञानिकों ने प्रतिदिन 7 ग्राम से अधिक जैतून का तेल खाने वालों की साढ़े चार ग्राम या उससे कम मात्रा का तेल लेने वालों से तुलना की।
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उन्होंने पाया कि जिन लोगों ने जैतून का तेल अधिक खाया था, उन्हें दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी मृत्यु का जोखिम 19 प्रतिशत कम था।
इसी तरह के लाभ कैंसर और सांस की बीमारी में भी देखे गए, जिसमें मृत्यु का जोखिम 18 प्रतिशत तक कम था।
ऐसा सकारात्मक असर अल्जाइमर, पार्किंसंस, मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में भी देखा गया, जिसमें मरने की संभावना 29 प्रतिशत तक कम हो गई थी।
वैज्ञानिक दल ने प्रतिदिन 10 ग्राम मार्जरीन, मक्खन और मेयोनेज़ जैसे फैट की जगह जैतून का तेल खाने से मृत्यु दर 8 से 34 प्रतिशत तक कम होना संभव बताया।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह भी थी कि ज्यादा जैतून के तेल की खपत वाले अक्सर शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय थे। वो कम धूम्रपान और फल-सब्जियों का सेवन अधिक करने वाले थे।
इसका मतलब है कि कुछ स्वास्थ्य लाभ केवल जैतून के तेल से ही प्राप्त नहीं हो रहे थे। ऐसे में, विशेषज्ञों ने अन्य कारणों से तुलना करने के बाद भी अपने नतीजों को काफी हद तक सही पाया।
हालांकि, अन्य वनस्पति तेलों से जैतून के तेल को बदलने पर समान लाभ मिलते नहीं देखे गए।
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