मोटापे (obesity) से मुकाबले के लिए हाई-प्रोटीन डाइट (high protein diet) और टोटल डाइट रिप्लेसमेंट (total diet replacement) को एक साथ अपनाना वेट मैनेजमेंट (weight management) के लिए एक भरोसे वाला तरीका हो सकता है।
यह मुख्य प्रश्न है दि अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित ” A High-Protein Total Diet Replacement Increases Energy Expenditure and Leads to Negative Fat Balance in Healthy, Normal-Weight Adults,” के लेखकों का।
अपने अध्ययन में, लेखकों ने एक उच्च-प्रोटीन आहार के प्रभाव की तुलना एक ठेठ नार्थ अमेरिका की कण्ट्रोल डाइट से की।
अपने परीक्षण में उन्होंने 18 और 35 साल के सामान्य वजन वाले वयस्कों के एक ग्रुप को भर्ती किया। उन्हें अलग-अलग दो समूहों में बांटा गया। एक ग्रुप को 35 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 40 प्रतिशत प्रोटीन और 25 प्रतिशत फैट के साथ हाई- प्रोटीन टोटल डाइट रिप्लेसमेंट पर रखा गया।
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दूसरे नियंत्रण समूह को समान कैलोरी वाला आहार दिया गया जो केवल 15 प्रतिशत प्रोटीन आहार पैटर्न पर बना था। प्रतिभागियों को मेटाबॉलिक चैम्बर में 32 घंटे की अवधि के लिए रखा गया।
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निष्कर्षों से पता चला कि उच्च-प्रोटीन आहार ने “ज्यादा ऊर्जा खर्च, फैट जलाने में वृद्धि, और नकारात्मक वसा संतुलन” में मदद की।
अध्ययन के परिणाम इस बात के और सबूत देते है कि समान कैलोरी से युक्त आहार होने पर भी यदि प्रोटीन की मात्रा कम है और कार्बोहाइड्रेट या वसा ज्यादा है, तो अधिक प्रोटीन वाले आहार से ऊर्जा खर्च और फैट के ऑक्सीकरण में वृद्धि हो सकती है।
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प्रोटीन डाइट से वेट मैनेजमेंट में फायदा
अल्बर्टा विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ कार्ला प्राडो ने कहा कि हमारी राय में, सबसे पहले यह जरूरी है कि एक उच्च-प्रोटीन आहार के एक स्वस्थ जनसंख्या पर होने वाले शारीरिक प्रभाव को समझें ताकि मोटापे और इसके संबंधित समस्याओं के प्रभावों को सही तरीके से अनुवादित किया जाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मोटापा की समस्या मधुमेह, हृदय रोग और कुछ कैंसर की उच्च घटनाओं के साथ जुडी हुई है। इसकी घटनाओं में वृद्धि के कारण पूरे विश्व में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी लगी हुई है।
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सारांश में, इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि हाई-प्रोटीन डाइट मोटापे की बढ़ती दर का मुकाबला करने के लिए एक आशाजनक पोषण रणनीति हो सकती है। इस आहार का स्वस्थ और बीमार जनसंख्या समूहों के शरीर पर होने वाले प्रभाव जानने के लिए भविष्य में और अनुसंधानों की जरूरत है।