अनरिफाइंड यानि साबुत अनाज की तुलना में रिफाइंड यानि परिष्कृत अनाज जैसे मैदा, सफेद चावल, मक्का आदि ज्यादा खाने वालों में हृदय रोग और मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है।
बीएमजे (BMJ) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में ऐसा बताया गया है।
रिफाइंड अनाज से सेहत को नुकसान
पिछले अध्ययन साबुत अनाज सेवन से हृदय रोग और मृत्यु के कम जोखिम का होना बताते है, लेकिन रिफाइंड अनाज से सेहत संबंधी नुकसान का कोई सटीक विवरण नहीं मिला था।
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इसे जानने के लिए शोधकर्ताओं ने परिष्कृत अनाज, साबुत अनाज और सफेद चावल खाने का हृदय रोग (CVD) और मृत्यु दर के साथ जुड़ाव को देखा।
अध्ययन के लिए खोजकर्ताओं ने 21 देशों के 5 महाद्वीपों में रहने वाले 35 से 70 वर्ष की आयु के 1,37,130 लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इन निवासियों को किसी भी तरह का हृदय रोग नहीं था।
खोजकर्ताओं ने उनके परिष्कृत अनाज, साबुत अनाज और सफेद चावल खाने की आदतों का आकलन किया।
इसके बाद परिष्कृत अनाज से अलग सफेद चावल की जांच की क्योंकि 60% से अधिक आबादी एशिया में रहती है जहां चावल एक अनिवार्य भोजन है।
अध्ययन के दौरान, हृदय संबंधी कारणों या इससे जुडी मौतों को 9.4 वर्ष तक देखा गया।
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सेहत पर हुआ ऐसा असर
शोधकर्ताओं ने पाया कि कम रिफाइंड अनाज खाने (प्रतिदिन 50 ग्राम से कम) की तुलना में इसका ज्यादा सेवन (प्रतिदिन कम से कम 350 ग्राम या लगभग 7 सर्विंग) मृत्यु के 27 प्रतिशत अधिक जोखिम और 33 प्रतिशत अधिक गंभीर हृदय संबंधी बीमारियों से जुड़ा था।
रिफाइंड अनाज की उच्च खपत हाई ब्लड प्रेशर से भी जुड़े थी, लेकिन सफेद चावल या साबुत अनाज का सेहत पर कोई दुष्प्रभाव नहीं मिला।
साबुत अनाज जैसे ओट्स, चावल, जौ और गेहूं में परिष्कृत के मुकाबले फाइबर, विटामिन, खनिज, और आवश्यक फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है।
अध्ययन के आधार पर शोधकर्ता विश्व स्तर पर परिष्कृत अनाज के कम और साबुत अनाज के ज्यादा सेवन को बढ़ावा देने पर जोर देते है।