High fat diet side-effects: तला-भुना और चिकनाई युक्त भोजन बिना किसी बीमारी या चोट के भी शरीर दर्द पैदा कर सकता है।
इस बारे में टेक्सास यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने चूहों पर हुई एक स्टडी के बाद जानकारी दी है।
नतीजों बताते है कि अत्यधिक फैट से बने फ़ूड प्रोडक्ट्स खाने की थोड़ी आदत भी शरीर में मोटापे, डायबिटीज या चोट के बिना दर्द ला सकती है।
जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित स्टडी में, दो तरह के चूहों पर आठ सप्ताह तक विभिन्न आहार देने के प्रभावों की तुलना की गई थी।
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अत्यधिक फैट वाला भोजन खाने वाले चूहों में सामान्य भोजन खाने वाले चूहों की अपेक्षा तेज से लेकर देर तक रहने वाला दर्द देखा गया।
मेडिकल भाषा में इसे हाइपरलेजेसिक प्राइमिंग (Hyperalgesic priming) कहा जाता है, जो हल्के और पुराने दर्द से संबंधित एक न्यूरोलॉजिकल परिवर्तन है।
बता दें कि भोजन में घी, मक्खन, पनीर, रेड मीट और अन्य सैचुरेटेड फैट से बने फ़ूड प्रोडक्ट्स की अधिकता ऐसी समस्या को उत्पन्न करती है।
रिसर्चर्स के मुताबिक़, ऐसा भोजन खाने वालों के खून में एक प्रकार के फैटी एसिड, जिसे पामिटिक एसिड (Palmitic acid) कहा जाता है, की मात्रा अधिक हो जाती है।
यह एसिड न्यूरॉन्स के एक विशेष रिसेप्टर से जुड़ जाता है जिससे शरीर में दर्द लाने वाली जलन-सूजन पैदा होती है।
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ऐसी स्थिति शरीर में पहले से मौजूद समस्याओं को बढ़ा भी सकती हैं या चोट से उबरने में बाधा डाल सकती है।
नतीजों को देखते हुए रिसर्चर्स ने हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से दर्द को प्रभावित करने में खान-पान की भूमिका पर विचार करने के की गुज़ारिश की है।
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