Cancer Prevention Dietary Interventions: हमारे स्वास्थ्य को बनाने और बिगड़ने में खान-पान संबंधी आदतों का विशेष योगदान है।
मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी बीमारियां तो आहार से सीधे जुड़ी हुई है।
बात करें कैंसर की तो यह रोग दुनिया भर में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है।
हाल ही में चिली के खोजकर्ताओं ने कई कैंसर रोकने में आहार (Diet) की भूमिका का विश्लेषण किया है।
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उनका मुख्य उद्देश्य डाइट से संबंधित अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की हिदायतों को नए सिरे से समझना था।
नतीजों में शाकाहार से कैंसर के जोखिम में कमी, जबकि अत्यधिक उपवास और लौह (Iron) सेवन से वृद्धि मिली।
समय पर सीमित भोजन, रात में उपवास और जल्दी नाश्ता करने से प्रोस्टेट कैंसर के खतरे में कमी का अनुमान था।
फलों, सब्जियों, मछली व ऑलिव ऑयल युक्त मेडिटेरेनियन डाइट फेफड़े और ब्रेस्ट कैंसर में लाभकारी जानी गई।
शाकाहारी या मछली खाने वालों को मांस खाने वालों की तुलना में कोलन कैंसर का कम जोखिम पाया गया।
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कम कार्बोहाइड्रेट से कोलोरेक्टल और फेफड़ों के कैंसर का खतरा, लेकिन गैस्ट्रिक कैंसर में कमी मिली।
पोषक तत्वों से भरपूर लेकिन सूजन वाले खाद्य पदार्थों में कमी से फेफड़ों के स्क्वैमस सेल कैंसर का खतरा कम था।
इसके विपरीत, रोगजनक सूजन लाने वाले आहार से फेफड़ों के कैंसर का खतरा अधिक पाया गया।
दूध या अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स से ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं देखा गया।
कॉफी या चाय के सेवन और प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम के बीच भी कोई महत्वपूर्ण लिंक नहीं पाया गया।
लाल और प्रोसेस्ड मीट अधिक खाने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा अधिक था, लेकिन फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से कम मिला।
मांस से मिलने वाला हीम आयरन, पौधों के आयरन के मुकाबले फेफड़ों के कैंसर के जोखिम में वृद्धि से जुड़ा था।
तांबा, सीसा और जस्ता जैसी भारी धातुओं के संपर्क में आने से भी कैंसर होने के खतरे में अधिकता पाई गई।
हालांकि, जिंक, सेलेनियम, विटामिन सी और डी से कैंसर में कमी और रोगियों के जीवित रहने में सुधार पाया गया।
खोजकर्ताओं ने कैंसर रोकथाम में प्रभावी सही डाइट संबंधी सिफारिशों के लिए भविष्य में और रिसर्च की जरूरत मानी।
इस बारे में विस्तार से जानने के लिए न्यूट्रिएंट्स जर्नल में छपी रिपोर्ट पढ़ी जा सकती है।
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