ब्रेड और बियर बनाने में इस्तेमाल होने वाले बेकर्स यीस्ट (Baker’s yeast) से दिमागी विकारों की दवा बनाई जा सकती है, ये दावा है वैज्ञानिकों का।
सिंगापुर और लंदन के वैज्ञानिकों ने एक संयुक्त प्रयास के तहत यह अनूठी पहल की है।
उन्होंने डिमेंशिया और पार्किंसंस रोग की दवा में इस्तेमाल होने वाले एक घटक D-lysergic acid (DLA) का उत्पादन करने के लिए बेकर्स यीस्ट पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
बता दें कि यीस्ट को आम बोलचाल की भाषा में खमीर भी कहा जाता है। इसका उपयोग मुख्यत: खाद्य पदार्थों को फुलाने में किया जाता है। यह एक तरह की फंगस है जो खाने की चीजों को फरमेन्ट करती है।
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उम्र से संबंधित अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग के अलावा मनोरोग, माइग्रेन, सिरदर्द आदि के उपचार में उपयोग की जाने वाली विशेष दवा को वर्तमान में एर्गोट फंगस (Ergot fungus) से बनाया जाता है।
लेकिन औद्योगिक कृषि के दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन की सबसे बड़ी योगदानकर्ताओं में से एक होने के कारण दवा के लिए इस फंगस को उगाना मुश्किल होता जा रहा है।
दवा की वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए हर साल 10-15 टन D-lysergic acid (DLA) का उत्पादन किया जाता है, जो राई के पौधे पर उपजने वाली एर्गोट फंगस से प्राप्त होता है।
ऐसी दवा के निर्माण में कृषि योग्य भूमि का उपयोग कम करने के लिए शोधकर्ताओं ने DLA उत्पादन के वैकल्पिक तरीके का परीक्षण किया है।
इसमें ब्रेड और बियर बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बेकर्स यीस्ट सहायक पाई गई है।
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सिंथेटिक बायोलॉजी तकनीकों का उपयोग करते हुए टीम ने एर्गोट फंगस के एंजाइमों को बेकर्स यीस्ट में डाला है।
बदले गए यीस्ट को DLA का उत्पादन करने के लिए फर्मेंटेशन प्रक्रिया की मदद से चीनी का उपयोग करके उगाया गया, जोकि सफल रहा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यीस्ट जैसे जीवाणुओं से दवा और खाद्य सामग्री का उत्पादन न केवल हमें बेहतर उम्र देने में सक्षम है बल्कि दवा उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम कर सकता है।
सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी, योंग लू लिन मेडिसिन स्कूल और लंदन इम्पीरियल कॉलेज की यह साझा रिसर्च नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुई है।
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