Green Tea: ग्रीन टी अर्क (Extract) लेना वैसे तो कैंसर, हृदय रोग, मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज से कुछ सुरक्षा दे सकता है, लेकिन इससे नुकसान भी संभव है।
यूएस की रटगर्स यूनिवर्सिटी के ताज़ा अध्ययन में, लंबे समय तक ग्रीन टी के अर्क (Green Tea Extract) की उच्च खुराक कुछ इंसानों में लिवर क्षति (Hepatotoxicity) से जुड़ी मिली है।
ऐसे जोख़िम को देखते हुए विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य लाभ के लिए ग्रीन टी अर्क के सप्लीमेंट को सुरक्षित मात्रा में लेने की सलाह दी है।
ज़्यादा जानकारी स्तन कैंसर पर ग्रीन टी के प्रभाव बताने वाले एक बड़े अध्ययन के आंकड़ों से मिली है।
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इसमें कुछ आनुवंशिक भिन्नता वालों में ग्रीन टी के प्रमुख एंटीऑक्सिडेंट की प्रतिदिन 843 मिलीग्राम मात्रा लिवर में तनाव बढ़ाने वाली मिली।
ग्रीन टी के इस प्रमुख एंटीऑक्सिडेंट को एपिगैलोकैटेचिन गैलेट (Epigallocatechin gallate -EGCG) कहा जाता है।
विशेषज्ञों के विश्लेषण में COMT और UGT1A4 जीनोटाइप वाली महिलाएं लिवर में तनाव से ज़्यादा प्रभावित पाई गई है।
UGT1A4 जीनोटाइप की महिलाओं में ग्रीन टी सप्लीमेंट लेने के नौ महीने बाद लिवर तनाव दिखाता एक एंजाइम 80 प्रतिशत बढ़ा मिला।
इसके विपरीत, कम जोखिम वाले जीनोटाइप की महिलओं में वही एंजाइम 30 प्रतिशत अधिक था।
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बता दें कि तनावग्रस्त लिवर मांसपेशियों, टिश्यू और अन्य हिस्सों को नया ख़ून नहीं पहुंचा पाता है।
इससे पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है और आँखों में सूखापन आने लगता है।
हालांकि, लिवर के ज़हरीले होने का जोख़िम केवल ग्रीन टी सप्लीमेंट की उच्च खुराक से मिला है, न कि ग्रीन टी पीने से।
लेकिन विशेषज्ञ अभी भी यह अनुमान लगाने में असमर्थ हैं कि कौन ग्रीन टी अर्क की उच्च खुराक सुरक्षित रूप से ले सकता है।
इस बारे में ज़्यादा जानकारी द जर्नल ऑफ़ डाइटरी सप्लीमेंट्स में प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है।
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