बढ़ती उम्र में शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को ग्रीन टी और कोको के सेवन द्वारा कम किया जा सकता है।
एक अध्ययन के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि डाइट में ग्रीन टी कैटेचिन (Green tea catechins) और कोको फ्लेवनॉल्स (Cocoa flavanols) लेना उम्र बढ़ने से जुड़े शारीरिक प्रदर्शन में गिरावट को कम करते है।
स्पेन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने दोनों के सप्लीमेंट्स इस्तेमाल करके चूहों की जीवित रहने की दर में काफी सुधार होते देखा।
प्रयोग के दौरान, ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट (Green tea extract) ने दिमाग और मांसपेशियों के जुड़ाव को फायदा पहुंचाया, जबकि कोको ने उम्र बढ़ने से जुड़े दुष्प्रभावों को कम किया और दिमाग से जुड़ी कोशिकाओं के रक्षात्मक कवच में वृद्धि की।
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वैज्ञानिकों के अनुसार, बढ़ती उम्र में मांसपेशियों का सिकुड़ना आम बात है। मेडिकल जगत में इसे सार्कोपेनिया (Sarcopenia) कहा जाता है।
सार्कोपेनिया प्रभावित बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनमें विकलांगता, गिरने से लगी चोटों, बीमारियों और मौत होने का खतरा बरकरार रहता है।
हालांकि, कम कैलोरी खाने और एक्सरसाइज करने से इंसानों और जानवरों दोनों को ही उम्र बढ़ने पर होने वाले सार्कोपेनिया को कम करने में राहत मिली है।
इसी तरह, कुछ डाइटरी सप्लीमेंट्स भी उम्र से संबंधित विकारों को कम करने और दिमाग तथा मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को सुचारु रूप से चलाने में योगदान करते हैं।
पौधों से मिलने वाले फ्लेवोनॉयड्स अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से हृदय संबंधी विकारों और कैंसर को रोकने सहित कई बीमारियों में इनका लाभ अभूतपूर्व है।
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ऐसा ही असर वैज्ञानिकों की टीम को ग्रीन टी और कोको फ्लेवोनोइड्स के उपयोग से दिखा, जिन्होंने बूढ़े चूहों की उम्र, मांसपेशियों और सम्पूर्ण स्वास्थ्य सुधार में वृद्धि की।
हालांकि, लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक कुशलता बनाए रखने के लिए फ्लेवोनोइड की खुराक और सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में और खोज की आवश्यकता बताई गई है।
खबर एजिंग पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।