फैटी लीवर (fatty liver) रोग से साल 2030 तक 100 मिलियन से अधिक लोगों के पीड़ित करने रहने का अनुमान है। वर्तमान में इस बीमारी के लिए कोई वैध चिकित्सा नहीं है।
पेन स्टेट के शोधकर्ताओं के अनुसार, ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट (green tea extract) और व्यायाम (exercise) ने चूहों में उच्च वसा वाले आहार (high-fat diet) से हुए मोटापे (obesity) से संबंधित फैटी लीवर रोग की गंभीरता को 75 प्रतिशत तक कम कर दिया।
खाद्य विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर जोशुआ लैम्बर्ट के अनुसार, “मोटापे और टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) जैसे उच्च जोखिम वाले कारक फैटी लीवर रोग से साल 2030 तक 100 मिलियन से अधिक लोगों को पीड़ित कर सकते है।
अध्ययन में चूहों को 16 सप्ताह तक ज्यादा वसा वाला खाना खिलाया गया। लेकिन जिन्होंने ग्रीन टी का सेवन किया और नियमित रूप से एक पहिये पर दौड़कर व्यायाम किया, उन चूहों के जिगर में नियंत्रित समूह के चूहों की अपेक्षा वसा की मात्रा आधी थी।
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जर्नल ऑफ न्यूट्रीशनल बायोकेमिस्ट्री (Journal of Nutritional Biochemistry) में प्रकाशित इस अध्ययन में जिन चूहों ने ग्रीन टी का सेवन और व्यायाम किया, उनके स्टूल टेस्ट में लिपिड और प्रोटीन का स्तर अधिक था
ग्रीन टी में पॉलीफेनॉल्स (polyphenols) छोटी आंत में स्रावित पाचन एंजाइमों के साथ मिलकर भोजन से कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के टूटने को आंशिक रूप से रोकते हैं।
“अगर चूहा अपने आहार में वसा को पचा नहीं पाता है, तो वसा और इससे जुड़ी कैलोरी उसके पाचन तंत्र से होकर मल से बाहर आ जाती है,” ऐसा वैज्ञानिकों ने कहा।
ग्रीन टी और व्यायाम दोनों के साथ इलाज किए गए चूहों में नए माइटोकॉन्ड्रिया (mitochondria) के गठन से जुड़े जीन देखे गए।
यह जीन शोधकर्ताओं को उस तंत्र को समझने में मदद करेगा, जिसके द्वारा फैटी लिवर जमा को कम करने के लिए ग्रीन टी पॉलीफेनोल्स और व्यायाम एक साथ काम कर सकते है।
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लैम्बर्ट का मानना है कि चूहों की तरह लोगों को भी अधिक शारीरिक गतिविधि में संलग्न होना चाहिए और हाई कैलोरी के पेय पदार्थों की जगह ग्रीन टी को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
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