रोजाना फल खाने से टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) होने की संभावना कम होती है, ऐसा एक स्टडी से पता चला है।
ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पाया गया है कि रोजाना कम से कम दो फल खाने से टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना 36 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
अध्ययन से पता चला है कि प्रतिदिन ताजे फल खाने वालों में इंसुलिन संवेदनशीलता (Insulin Sensitivity) आधा से कम फल खाने वालों की तुलना में अधिक थी।
टाइप 2 डायबिटीज एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है, जिससे दुनिया भर में अनुमानित 45 करोड़ इंसान प्रभावित है। इसके अलावा, 38 करोड़ लोगों को इस बीमारी के विकसित होने की संभावना है।
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लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, स्वस्थ भोजन और जीवनशैली में बदलाव इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाकर इस बीमारी से बचा सकता है।
फल खाने से खून में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को घटाने के लिए शरीर को कम इंसुलिन का उत्पादन करना पड़ता है।
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इंसुलिन का उच्च स्तर ब्लड प्रेशर, मोटापे और दिल की बीमारी का खतरा भी उत्पन्न करता है।
स्टडी में दिल और डायबिटीज संस्था के एक अध्ययन में भाग लेने वाले सात हजार से अधिक आस्ट्रेलियाई नागरिकों की सेहत से जुड़ी सूचनाओं का विश्लेषण किया गया।
पांच वर्षों बाद फलों और फलों के जूस के सेवन से डायबिटीज होने का संबंध देखा गया।
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विशेषज्ञों को जूस पीने से इंसुलिन पर कोई लाभकारी प्रभाव नहीं दिखा।
उच्च इंसुलिन संवेदनशीलता और डायबिटीज का कम जोखिम केवल उन लोगों में ही देखा गया जिन्होंने जूस के बजाए पूरा फल खाया था।
विशेषज्ञ ऐसा जूस में बहुत अधिक मीठे और कम फाइबर के कारण हुआ बताते है।
फल इंसुलिन संवेदनशीलता में कैसे योगदान देते है, इसके बारे में फलों के उच्च विटामिन और खनिजों के साथ उनमें पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स और फाइबर को लाभकारी बताया गया।
फलों के ऐसे तत्व इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाते है और खून में मीठे के स्तर को नियंत्रित रखते है।
इसके अलावा, अधिकांश फलों में आमतौर पर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (low glycaemic index) होता है, जिसका अर्थ है कि फलों की मिठास शरीर में धीरे-धीरे अवशोषित होती है और इंसुलिन में उछाल नहीं लाती।
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